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नागरिकता कानून पर फिलहाल रोक से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

नागरिकता संशोधन कानून को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद नागरिकता कानून पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया. दरअसल, केंद्र ने अभी सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल नहीं किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र का पक्ष सुने बिना कानून पर रोक नहीं लगा सकते. CAA मामले में नई दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी किया है.

सुनवाई के दौरान वरिष्‍ठ वकील कपिल सिब्‍बल की तरफ से सुनवाई के दौरान कहा गया कि इस मामले को सुनवाई के लिए किसी बड़ी बेंच के पास भेजा जाए. उन्‍होंने मांग की कि कानून पर 3 महीने तक रोक लगे. एक बार नागरिकता मिलने के बाद नागरिकता नहीं छीनी जा सकती. वहीं, कोर्ट रूम में भारी भीड़ अटॉर्नी जनरल की तरफ से आपत्ति जताई गई. सरकार ने इसकी प्रक्रिया को शुरू कर दिया है. उत्तर प्रदेश में यह प्रकिया भी शुरू हो गई है. AG ने 3 महीने तक कानून पर रोक लगाने का विरोध किया. सिब्बल ने मांग उठाई कि इसी मुद्दे पर जल्द फरवरी में कोई तारीख सुनवाई के लिए तय हो.

AG ने कहा कि इस मामले में 144 याचिकाएं दायर हुई हैं, जिसमें से सरकार के पास 60 की ही सूचना मिली है. उन्‍होंने कहा कि कि हमें सभी 144 याचिकाओं पर जवाब देना है. वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोर्ट को कहना चाहिए कि अब कोई नई याचिका दायर नहीं होगी. अगर किसी को कोई बात कहनी होगी तो इंटरवेंशन एप्लीकेशन दायर कर सकता है.

दरअसल, सुनवाई से पहले कोर्ट नंबर 1 पूरी तरफ से भर गया. हालात ऐसे रहे कि कोर्ट के तीनों दरवाज़े खोलने पड़े. दरवाज़े के बाहर भी भीड़ मौजूद थी. सभी सुनवाई के लिए अंदर जाना चाहते थे.

इस कानून पर शीर्ष अदालत में सुनवाई के लिए आज 140 याचिकाएं लिस्टेड हैं. इनमें से 131 याचिकाएं इस कानून के खिलाफ दायर हुई हैं, जबकि एक याचिका समर्थन में और एक केंद्र सरकार की याचिका है.

CAA के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं पर केंद्र सरकार ने अभी तक जवाब दाखिल नहीं किया है. केंद्र सरकार के सूत्रों का कहना है कि इस मामले में 60 से ज्यादा और नई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई हैं, लिहाजा सभी याचिकाओं को देखना होगा कि उसमें क्या मांग की गई है. सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार सभी याचिकाओं का विरोध करेगी. केंद्र सरकार का कहना है कि नागरिकता संसोधन क़ानून किसी के मौलिक अधिकारों का हनन नहीं करता और न ही किसी के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता.

दरअसल, दिसंबर में जब मामला सुनवाई के लिए लगा था तब 60 याचिकाएं थीं. चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच इन पर सुनवाई करेगी. दिसंबर में कोर्ट ने सरकार को नोटिस तो जारी किया था, लेकिन कानून पर रोक नहीं लगाई थी.

गैर सरकारी संगठन माइनॉरिटी फ्रंट, इंडियन यूनियन मुस्‍लिम लीग और कांग्रेस नेता जयराम रमेश सहित कई लोगों ने ये याचिकाएं दायर की हैं. दरअसल, नागरिकता संशोधन कानून का देश के कई राज्‍यों में विरोध हो रहा है. अलग-अलग राज्‍यों के हाईकोर्ट में भी कई याचिकाएं इस कानून के खिलाफ दायर की गई हैं।