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जानिए, नील आर्मस्ट्रांग को चांद पर क्यों भेजा गया था ,जब वापस आने की गारंटी नहीं थी

हम सभी जानते कि चंद्रमा की सतह पर अपना पहला कदम रखने वाले वैज्ञानिक नील आर्मस्ट्रांग थे इन्होंने 3 जुलाई 1969 को चंद्रमा की सतह पर उतरने के लिए अपोलो 11 के माध्यम से उड़ान भरी थी। नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार जिस चंद्रयान का उपयोग नील आर्मस्ट्रांग चंद्रमा की सतह पर पहुंचने के लिए कर रहे थे।

उस चंद्रयान के वापस आने के अवसर मात्र 50 फ़ीसदी थे क्योंकि वैज्ञानिकों को संदेह था यदि यान ने वापसी करते समय जरूरत से ज्यादा ईंधन का उपयोग किया तो इन वैज्ञानिकों के लिए वापस आना खतरनाक हो सकता है और यह बात नील आर्मस्ट्रांग को पहले बता दी गई थी।

लेकिन फिर भी उन्होंने इस पर सवार होने का निर्णय लिया था जब नील चंद्रमा की सतह पर उतरे तो उनका यान एक निश्चित जगह पर उतरने के स्थान पर एक अन्य स्थान पर उतरा था।

जब नील इस यान से उतरे तो उन्होंने चंद्रमा की सतह पर सबसे पहले अमेरिका का ध्वज लहराया और उसके पश्चात वहां से कुछ मिट्टी के नमूने और कुछ रेत इकट्ठी करके अपने पास रख ली थी जब नील ने फिर से धरती के लिए उड़ान भरी तो उनको 8 दिन और 11 घंटे का समय लगा था।