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जानिए- कहां और कैसे होगा नए संसद भवन का निर्माण, मोदी सरकार कर रही है तैयारी

मोदी सरकार आजादी की 75वीं वर्षगांठ यानी 2022 में पार्लियामेंट को नया स्वरूप देने की तैयारी कर रही है। अंग्रेजों की निशानी खत्म करके पार्लियामेंट की नई बिल्डिंग बनाने की तैयारी हो रही है। फिलहाल ये साफ नहीं है कि यह नए भवन के रूप में होगा या वर्तमान भवन को ही नया स्वरूप दिया जाएगा, इस पर फैसला होना बाकी है। लेकिन यह तय हो गया है कि 2022 में संसद का मानसून सत्र संसद के उस नए स्वरूप में ही आयोजित होगा।

केंद्र सरकार ने इसके लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल जारी कर दिया है। इसके जरिये संभावित बिडर को शॉर्टलिस्ट किया जाएगा। इसमें अभी यह देखा जा रहा है कि कौन सी कंपनी इसका डिजाइन तैयार करने के लिए सामने आती है। बताया जा रहा है कि 2 सितंबर को एक आरएफपी फ्लोट किया गया था। ताकि कोई भी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कंपनियां डिजाइन तैयार कर के दें। बताया जा रहा है कि पार्लियामेंट का पुनर्निर्माण किया जाए या उसके बगल में नया पार्लियामेंट बनाया जाए इन तमाम विकल्पों पर कंपनियां अपना सुझाव देंगी।

मौजूदा संसद भवन 1911 में बनना शुरू हुआ था। तब अंग्रेजों के शासन के दौर में दिल्ली राजधानी बनी थी। सन 1927 में संसद भवन का उद्घाटन हुआ था। संसद भवन का निर्माण तत्कालीन समय को ध्यान में रख कर किया गया था। आज के समय के हिसाब से संसद भवन में काफी समस्याएं देखी जाने लगी हैं। राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक का तीन किलोमीटर का इलाका सेंट्रल विस्टा कहलाता है। सेंट्रल विस्टा पूरे देश का सबसे बड़ा टूरिस्ट स्पॉट है जिसको देखने लोग देश-विदेश से आते हैं। सरकार की मंशा है कि इस तीन किलोमीटर के इलाके को विश्व स्तरीय लुक दिया जाए। इसमें वेंडर की समस्या, पार्किंग की समस्या, लोगों के बैठने की समस्या के लिए बाकायदा प्लानिंग करके काम किया जाएगा।

मोदी सरकार एक ऐसा कॉमन सेंट्रल सेक्रेट्रिएट बनाना चाहती है जिसमें सभी मंत्रालयों, विभागों और दफ्तरों में कोआर्डिनेशन ठीक से हो सके। यह सभी लगभग एक सी इमारत में हों। अभी केंद्र सरकार के अलग-अलग करीब 47 मंत्रालयों विभागों और दफ्तरों में 70000 कर्मचारी और अधिकारी काम कर रहे हैं।

राष्ट्रपति भवन के दोनों तरफ नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक के अलावा शास्त्री भवन, निर्माण भवन, कृषि भवन, उद्योग भवन आदि जैसी कई इमारत हैं जिनमें अलग-अलग मंत्रालयों के दफ्तर हैं। अलग-अलग मंत्रालयों के अलग-अलग दफ्तरों में एकरूपता नहीं है। कई जगह तार लटके दिखते हैं। यही नहीं केंद्र सरकार ने निजी इमारतों में भी अपने अलग-अलग मंत्रालयों के दफ्तर बना रखे हैं जिनका सालाना किराया करीब 1000 करोड़ रुपये है। इसलिए अब विचार है कि एक कॉमन सेंट्रल सेक्रेट्रिएट बनाया जाए जिसमें सभी मंत्रालय के सभी मंत्री, अधिकारी और कर्मचारी एक साथ काम करेंगे। इस नई बड़ी इमारत का स्वरूप कैसा होगा, यह भी 15 अक्टूबर के बाद पता चलेगा जब कंपनियां अपना डिजाइन पेश करेंगी और सरकार चुनिंदा डिजाइन को मंजूरी देगी।