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फांसी से बचने को अदालत की शरण में मुशर्रफ, लाहौर HC में याचिका

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ को इसी महीने देशद्रोह के आरोप में फांसी की सज़ा सुनाई गई है. अब इस फैसले के खिलाफ परवेज मुशर्रफ ने लाहौर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. 2007 में देश में इमरजेंसी लगाने के आरोप में परवेज मुशर्रफ को फांसी की सजा पेशावर की एक स्पेशल कोर्ट ने सुनाई थी.

लाहौर हाईकोर्ट में जो याचिका दायर की गई है, उसमें फैसले के पैराग्राफ 66 पर सवाल खड़े किए गए हैं. इसमें कहा गया है कि कोर्ट का ये फैसला जल्दबाजी में लिया गया है, ऐसे में इसे तुरंत निरस्त कर देना चाहिए.

बता दें कि परवेज मुशर्रफ इन दिनों दुबई में हैं और अपनी बीमारी का इलाज करवा रहे हैं.

स्पेशल कोर्ट के जस्टिस वकार अहमद सेठ ने 17 दिसंबर को सुनाए गए अपने फैसले में पैराग्राफ 66 में लिखा था कि जो आरोप लगाए गए हैं उनके आधार पर दोषी को तबतक फांसी पर लटकाया जाए, जबतक कि वो मर ना जाएं.

इसी पैराग्राफ में ये भी लिखा गया था कि अगर परवेज मुशर्रफ सुरक्षा एजेंसियों को मृत पाए जाते हैं, तो उनके शव को इस्लामाबाद के चौक पर तीन दिनों तक लटकाना चाहिए.

किस आरोप के तहत सुनाई गई सजा?

आपको बता दें कि परवेज मुशर्रफ ने 3 नवंबर, 2007 को पाकिस्तान में इमरजेंसी लगाई थी. इसी के जुर्म में उनपर दिसंबर 2013 में देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था. मुशर्रफ को 31 मार्च, 2014 को दोषी ठहराया गया था और इसी महीने सजा का ऐलान हुआ.

हालांकि, कोर्ट के द्वारा इस फैसले के बाद पाकिस्तानी सेना और न्यायपालिका आमने-सामने है. क्योंकि, सेना की ओर से इस फैसले पर नाखुशी जाहिर की गई और काउंसिल को इस फैसले दुखद बताया है.

बता दें कि परवेज मुशर्रफ इन दिनों दुबई में हैं और अपनी बीमारी का इलाज करवा रहे हैं.

स्पेशल कोर्ट के जस्टिस वकार अहमद सेठ ने 17 दिसंबर को सुनाए गए अपने फैसले में पैराग्राफ 66 में लिखा था कि जो आरोप लगाए गए हैं उनके आधार पर दोषी को तबतक फांसी पर लटकाया जाए, जबतक कि वो मर ना जाएं.

इसी पैराग्राफ में ये भी लिखा गया था कि अगर परवेज मुशर्रफ सुरक्षा एजेंसियों को मृत पाए जाते हैं, तो उनके शव को इस्लामाबाद के चौक पर तीन दिनों तक लटकाना चाहिए.

किस आरोप के तहत सुनाई गई सजा?

आपको बता दें कि परवेज मुशर्रफ ने 3 नवंबर, 2007 को पाकिस्तान में इमरजेंसी लगाई थी. इसी के जुर्म में उनपर दिसंबर 2013 में देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था. मुशर्रफ को 31 मार्च, 2014 को दोषी ठहराया गया था और इसी महीने सजा का ऐलान हुआ.

हालांकि, कोर्ट के द्वारा इस फैसले के बाद पाकिस्तानी सेना और न्यायपालिका आमने-सामने है. क्योंकि, सेना की ओर से इस फैसले पर नाखुशी जाहिर की गई और काउंसिल को इस फैसले दुखद बताया है. परवेज मुशर्रफ की ओर से भी फैसले को गलत बताया गया था.

परवेज मुशर्रफ की ओर से भी फैसले को गलत बताया गया था.