अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के कश्मीर पर बयान के बाद मचा बवाल, गृह मंत्रालय ने कहा जम्मू-कश्मीर में धारा 370 अस्थाई है
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के अमेरिका दौरे के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कश्मीर मुद्दे पर दिए गए बयान पर कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान को लेकर कांग्रेस ने लोकसभा में काम रोको प्रस्ताव दिया है. कांग्रेस का कहना है कि प्रधानमंत्री को इस मुद्दे पर जवाब देना चाहिए. इसी बीच गृह मंत्रालय ने अपने आधिकारिक जवाब में कहा है कि जम्मू कश्मीर में धारा 370 अस्थाई है.
कश्मीर के मुद्दे पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे को भारत ने खारिज कर दिया है. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति से ऐसी कोई गुजारिश नहीं की है. यही नहीं व्हाइट हाउस के आधिकारिक बयान में कश्मीर का कोई जिक्र तक नहीं है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ मुलाकात के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति में कश्मीर मसले पर मध्यस्थता का ऑफर दिया था.
दरअसल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष स्वायत्तता दी गई है. जम्मू-कश्मीर रियासत के महाराजा हरि सिंह जब जम्मू-कश्मीर का भारतीय गणराज्य में विलय कर रहे थे तो उस वक्त उन्होंने ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन’ नाम के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए थे. अनुच्छेद 370 इसी के अंतर्गत आता है. इसके प्रावधानों को शेख अब्दुल्ला ने तैयार किया था, जिन्हें उस वक्त हरि सिंह और तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने जम्मू-कश्मीर का प्रधानमंत्री नियुक्त किया था.
धारा 370 के तहत जम्मू-कश्मीर के विशेष अधिकार
- भारत की संसद जम्मू-कश्मीर के संबंध में बहुत ही सीमित दायरे में कानून बना सकती है.
- धारा 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है. लेकिन किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू करवाने के लिए केंद्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिए.
- इसके तहत भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते हैं.
- भारतीय संविधान की धारा 360 जिसमें देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, लेकिन वह जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती.
- राज्य की महिला अगर राज्य के बाहर शादी करती है, तो वह जम्मू-कश्मीर की नागरिकता गंवा देती है.
- 1976 का शहरी भूमि क़ानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता. सूचना का अधिकार कानून भी यहां लागू नहीं होता.
- जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 साल होता है, जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 साल होता है.