गरीबी भी जिसकी सफलता को न रोक पायी , कहानी एक ऐसी उड़नपरी कि जिसके कारनामें देश में मिसाल बन गए

असम राज्य के नगांव जिले के कान्धुलिमारी गाँव में पैदा हुई हिमा दास का नाम आज किसी परिचय का मोहताज नहीं रहा ।  उनके पिता का नाम रणजीत दास तथा माता का नाम जोनाली दास है। उनके माता पिता चावल की खेती करते हैं। ये चार भाई-बहनों से छोटी हैं। परिवार में बहुत समृधि नहीं थी किसी तरह सभी बच्चों का पालन पोषण हो रहा था । हिमा दास ने अपने विद्यालय के दिनों में लड़कों के साथ  फुटबॉल खेलकर शुरुआत की थी। वो अपना कैरियर फुटबॉल में देख रही थीं और  भारत के लिए खेलने की उम्मीद कर रही थीं।

फिर जवाहर नवोदय विद्यालय के शारीरिक शिक्षक शमशुल हक की सलाह पर उन्होंने दौड़ना शुरू किया। शमशुल हक़ ने उनकी पहचान नगाँव स्पोर्ट्स एसोसिएशन के गौरी शंकर रॉय से कराई। फिर हिमा दास जिला स्तरीय प्रतियोगिता में चयनित हुईं और दो स्वर्ण पदक भी जीतीं।

जिला स्तरीय प्रतियोगिता के दौरान ‘स्पोर्ट्स एंड यूथ वेलफेयर’ के निपोन दास की नजर उन पर पड़ी। उन्होंने हिमा दास के परिवार वालों को हिमा को गुवाहाटी भेजने के लिए मनाया जो कि उनके गांव से 140 किलोमीटर दूर था। पहले मना करने के बाद हिमा दास के घर वाले मान गए।

अपनी मेहनत के बल पर हिमा ने वह मुकाम हासिल कर लिया जो आज हर भारतवासी के लिए प्रेरणास्रोत बन गयी । हिमा  दास ने 20 जुलाई को चेक गणराज्य में नोव मेस्टो नाड मेटुजी ग्रांड प्रिक्स में 400 मीटर दौड़ में सत्र का अपना पांचवां स्वर्ण पदक जीता। हेमा दास ने आखिरी मिनट तक तेजी के साथ 52.09 सेकंड के सीजन-सर्वश्रेष्ठ समय के साथ पहला स्थान हासिल किया। उनका व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय 50.79 सेकंड है, जो उन्होंने 2018 एशियाई खेलों के दौरान देखा था। हेमा दास ने 2 जुलाई को पोलैंड में पॉज़्नान एथलेटिक्स ग्रां प्री में इस सीज़न में अपना पहला स्वर्ण जीता, उसके बाद कुट्नो एथलेटिक्स में 200 मीटर में दूसरा स्वर्ण जीता। दास ने 200 मीटर में चेक गणराज्य में 200 मीटर में 23.43 सेकंड के समय के साथ अपना तीसरा स्वर्ण जीता। उसका चौथा स्वर्ण 200 मीटर में ताबो एथलेटिक्स मीट में 17 जुलाई को आया था।

हिमा की यह उपलब्धि पूरे देश के खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत साबित होगी।”हिमा ”ढिंग एक्सप्रेस” के नाम से प्रख्यात हैं। आज अपनी कड़ी मेहनत के बल पर अपना मुकाम हासिल करने वाली हिमा पूरे देश के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हो गयी । राष्ट्रपति ,प्रधानमंत्री से लेकर सभी गणमान्य व्यक्तियों ने हिमा की उपलब्धि की प्रसंशा की है ।