fbpx

रिक्शा चालक के बेटे ने रच दिया इतिहास , 21 साल की उम्र में बना देश का सबसे युवा IAS

हमारे समाज में बहुत सी ऐसी कहानियाँ मिल जायेंगी जो पूरे समाज के लिए प्रेरणास्रोत बन जाती हैं .चाहे कितनी भी कठिनाइयां हो, जब लक्ष्य को पाने की इच्छा प्रबल हो तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको आपके मंज़िल तक पहुँचने से नहीं रोक सकता। हमारे समाज में ऐसे कई उदाहरण मिल जायेंगे  जहाँ गरीबी और सुविधाओं के अभाव का सामना करते हुए लोगों ने  सफलता की कहानी लिखी  हैं। आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति की बारे में बताने जा रहे हैं जिसने गरीबी और सभी चुनौतियों का सामना करते हुए ऐसा इतिहास रच दिया जो हमारी आज की पीढ़ी के लिए मिसाल बन गया ।

मराठवाड़ा के एक गाँव  शेलगांव में पैदा हुए अंसार शेख देश के सबसे युवा आईएएस ऑफिसर में से एक हैं लेकिन उनके संघर्ष की कहानी बेहद प्रेरणादायक है। उनके पिता ऑटो रिक्शा चलाते और माँ खेतों में  मजदूरी करती थी। परिवार पालने के लिए संघर्ष की कहानी बचपन से ही अंसार ने अपनी आँखों से देखी । एक सूखाग्रस्त इलाका होने की वजह से यहाँ खेती भी सही से नहीं हो पाती थी। इन सब के बीच पले-बढ़े अंसार ने छोटी उम्र में शिक्षा की अहमियत को पहचान लिया था । दिनों-दिन खराब होती  आर्थिक स्थिति को देखते हुए लोगों ने उनके पिता से  उनकी पढ़ाई छुड़वा देने के लिए कहा।

पिता लोगों की बातों में आकर उनकी पढाई बंद करने के लिए जब उनके पिता ने उनके स्कूल में संपर्क किया तो, सबने उनके पिता को बहुत समझाया कि यह बच्चा होनहार है और इसमें आपके परिवार की परिस्थिति तक बदलने की ताकत है। उसके बाद पिता ने उन्हें कभी पढ़ाई-लिखाई के बारे में कुछ नहीं कहा। इससे अंसार को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में और मज़बूती मिली।

अंसार बताते हैं कि जब वे जिला परिषद के स्कूल में पढ़ते थे तो, मिड डे मील ही भूख मिटाने का जरिया हुआ करता था। समय बीतता गया और बारहवीं में उन्होंने 91 फीसदी अंक के साथ परीक्षा पास की। यह उनके सफलता का पहला पायदान थी। बारहवीं में उनके बेहतरीन  प्रदर्शन ने न सिर्फ उनके परिवारवालों का विश्वास जीता बल्कि पूरे गाँव में लोग उन्हें एक अलग ही नज़र से देखने लगे।

मराठी माध्यम से पढ़ाई करने और पिछड़े माहौल में रहने के कारण अंसार की सबसे बड़ी कमजोरी उनकी अंग्रेजी थी। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। घरवालों की सहायता से उन्होंने पुणे के नामचीन फर्गुसन कॉलेज में दाखिला लिया। उनके पिता हर महीने आय का एक छोटा हिस्सा उन्हें भेजते, उसी से उनका गुजारा चलता था। कॉलेज के पहले वर्ष ही उन्हें यूपीएससी परीक्षा के बारे में जानकारी मिली और फिर क्या था उन्होंने इसे ही अपना लक्ष्य बना लिया। उन्होंने भरपूर मेहनत की और साल 2015 में रिजल्ट घोषित हुए तो उनकी मेहनत का साक्षी हर कोई था। उन्होंने 21 वर्ष की उम्र में अपने पहले प्रयास में ही सफलता हासिल कर ली और देश के करोड़ों युवाओं के सामने मिसाल पेश की।

अंसार शेख की कहानी उन लोगो के लिए सबक है जो परिस्थितियों से हार मान कर बैठ जाते है और अपने लक्ष्य तक नहीं पहुच पाते हैं । उनकी कहानी यह साबित करती हैकि  यदि पूरी दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ आगे बढ़ा जाय तो सफलता अवश्य मिलती है ।