क्या होगा आर्टिकल 370 हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर में सरकार का अगला कदम

भाजपा सरकार के एजेंडे में आर्टिकल 370 को हटाना हमेशा से प्राथमिकता में रहा है और मोदी सरकार ने आर्टिकल 370 हटा कर अपना चुनावी वादा पूरा भी कर दिया । कुछ विपक्षी पार्टियों को छोडकर पूरे देश में ख़ुशी कि लहर है और सभी मोदी सरकार के निर्णय की प्रसंशा कर रहे है। अब इस कदम के बाद सरकार का अगला कदम क्या होगा यह बहुत ही महत्वपूर्ण है ।आइये हम बताते है ही सरकार अब क्या कदम उठाने जा रही है । सरकार अब जम्मू कश्मीर में परिसीमन कराने जा रही है ।

चुनाव आयोग द्वारा केंद्र शासित प्रदेश  जम्मू-कश्मीर  में डिलिमिटेशन यानी परिसीमन अभ्यास किया जाएगा। किसी संसदीय या विधानसभा क्षेत्र की सीमाएं निर्धारित करने को परिसीमन कहा जाता हैं। केंद्रिय शासित प्रदेश का दर्जा मिलने के बाद अब जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सीटें 107 से बढ़कर 114 हो गईं। एससी/एसटी के लिए आरक्षण शामिल किया जाएगा।

अब जानते है कि परिसीमन क्या होता है?

किसी संसदीय या विधानसभा क्षेत्र की सीमाएं निर्धारित करने को परिसीमन कहते हैं। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए कुछ वर्षों में की जाती है कि प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या लगभग बराबर है या नहीं। इसलिए, इसे हर जनगणना के बाद प्रयोग में लाया जाता है। प्रत्येक जनगणना के बाद, संसद संविधान के अनुच्छेद 82 के तहत परिसीमन अधिनियम लागू करती है। इसके बाद, परिसीमन आयोग के रूप में जाने वाला एक निकाय गठित किया जाता है, जो निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं के सीमांकन की प्रक्रिया को अंजाम देता है।

इस आयोग का आदेश मानना कानूनी रूप से अनिवार्य है और कानून की किसी भी अदालत के जांच के अधीन नहीं है। वास्तव में, यहां तक ​​कि संसद भी आयोग द्वारा जारी आदेश में संशोधन का सुझाव नहीं दे सकती है। आयोग में एक अध्यक्ष होता है। सर्वोच्च न्यायालय का एक सेवानिवृत्त या वर्तमान न्यायाधीश, मुख्य चुनाव आयुक्त या दो चुनाव आयुक्तों में से कोई भी, और उस राज्य का चुनाव आयुक्त जहां ये प्रक्रिया अपनानी हो। इसके अलावा, राज्य के पांच सांसदों और पांच विधायकों को आयोग के सहयोगी सदस्यों के रूप में चुना जाता है।यह एक लम्बी प्रक्रिया है और आयोग इसमें राज्य और पंचायत कर्मचारियों की मदद लेती है ।