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जीएसटी वसूली में गिरावट को रोकने के लिए सरकार ने उठाया बड़ा कदम

जीएसटी संग्रह को बढ़ाने के लिए सरकार ने कमर कस रखी है और उसमे सुधार के लिए निरंतर कदम भी उठा रही है इस बार सरकार ने जीएसटी वसूली में लगातार गिरावट को देखते हुए बड़ा कदम उठाया है। जीएसटी संग्रह बढ़ाने और इसमें सुधार के लिए अधिकारियों की एक समिति बनाई। यह समिति 15 दिनों के भीतर जीएसटी परिषद को अपनी पहली रिपोर्ट सौंप देगी।

सरकार की ओर से गठित समिति यह पता लगाने की कोशिश करेगी कि जीएसटी संग्रह तय लक्ष्य से पीछे क्यों चल रहा है। साथ ही कारोबारियों द्वारा नियमों का दुरुपयोग रोकने, नियमों का सही से अनुपालन बढ़ाने, कर का आधार बढ़ाने और बेहतर प्रशासनिक तालमेल बनाने के उपायों पर विचार कर सकती है। ऐसा भी माना जा रहा है कि सरकार साल 2017 में लाए गए अप्रत्यक्ष कर कानून को ठीक करने के बारे में विचार कर रही है। इसलिए समिति को विस्तार से सुझाव देने का निर्देश दिया गया है।

आर्थिक सुस्ती के चलते जीएसटी संग्रह सितंबर में 19 माह के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। इससे सरकार की चिंता बढ़ गई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सितंबर में कुल 91,916 करोड़ रुपये था। वहीं, सरकार का लक्ष्य हर महीने एक लाख करोड़ रुपए जीएसटी संग्रह करने का है लेकिन इस वित्त वर्ष में ये तीसरा महीना है जब सरकार अपने लक्ष्य से चूकी। जीएसटी घटने से सरकारी खजाने पर भारी दबाव पड़ने की आशंका है।

सरकार की ओर समिति में 12 सदस्यों की शामिल किया गया है। इसमें केंद्र सरकार की तरफ से जीएसटी से जुड़े अधिकारियों के अलावा महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल के जीएसटी अधिकारी भी शामिल रहेंगे। अन्य राज्यों को भी कमेटी में शामिल होने का विकल्प दिया गया है।

लगातार कर संग्रह लक्ष्य से कम रहने की वजह से वित्त वर्ष 2019-20 में जीएसटी संग्रह उम्मीद से 40 हजार करोड़ रुपये कम होने की आशंका है। इसे देखते हुए राज्यों ने चिंता जतानी शुरू कर दी है। हाल ही में गोवा में हुई जीएसटी परिषद की बैठक में इस बारे में राज्यों के वित्त मंत्रियों को जानकारी दी गई थी। इस पर राज्यों ने इसकी भरपाई केद्र सरकार से करने को कहा है।

अप्रत्यक्ष कर संग्रह की वृद्धि दर कमजोर रहने तथा कॉरपोरेट टैक्स में कटौती के चलते खजाने पर करीब-करीब 1.45 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ने की संभावना है। इससे राजकोषीय घाटे का लक्ष्य चूकने की संभावना बढ़ गई है। ऐसे में सरकारी राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को बढ़ाने पर मजबूर हो सकती है।