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चीन के राष्ट्रपति का भारत दौरा: पीएम मोदी ने किया एक तीर से दो शिकार

प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति का पूरा विश्व कायल है और हर बार वह इसका बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत करते हैं इस बार चीन के राष्ट्रपति के भारत दौरे में  भी मोदी जी ने कुशल विदेश नीति की नयी इबारत लिख दी | चीन और भारत की अपनी अपनी मजबूरियां हैं कि जिनके चलते उन्हें आपसी संबंधों को आगे बढ़ाना पड़ रहा है. महाबलीपुरम में जो कुछ हुआ, वह जो ह्यूस्टन में हुआ है, उससे किसी तरह कम नहीं है | भारत और चीन के सदियों पुराने संबंधों को नरेंद्र मोदी ने आज जिस तरह रेखांकित किया है, वैसा तो हिंदी-चीनी भाई-भाई के दौर में उस वक्त के प्रधानमंत्री भी नहीं कर सके थे |

मोदी ने दक्षिण भारत की पारंपरिक लुंगी पहनकर और शी जिनपिंग को नारियल पानी पिलाकर एक तीर से दो शिकार कर लिए | उन्होंने दक्षिण भारत के लोगों के दिलों को छू लिया और चीन-भारत सांस्कृतिक संबंधों की प्राचीनता को रेखांकित कर दिया |शीतयुद्ध के उस जमाने में चीन के मुकाबले भारत का पाया ज्यादा मजबूत था लेकिन आज चीन का सारी दुनिया में बोलबाला है |

आज जबकि चीनी राष्ट्रपति भारत में हैं, चीन ने नया दांव चला है |उसने कश्मीर के सवाल पर संयुक्तराष्ट्र के जिक्र को हटा लिया है | इस स्थिति को ज्यों का त्यों चलने दिया जाए तो भी भारत का कोई नुकसान नहीं है लेकिन इस सारी कसरत में से भारत का कुछ ठोस फायदा भी निकलना चाहिए |

भारत-चीन व्यापार में भारत को जो 60 बिलियन डॉलर का घाटा है, वह पूरा होगा या नहीं ? अमेरिकी-चीन व्यापार संकट के इस दौर में भारत को क्या 100-200 बिलियन डॉलर का फायदा हो सकता है ? इसमें जरा भी शक नहीं कि यदि हिंदी-चीनी भाई-भाई का दौर फिर से शुरू हो जाए तो यह 21 वीं सदी एशिया की सदी बने बिना नहीं रहेगी.