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मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत बना इतिहास, देश में बनी तोप बैरल की खेप स्वीडन रवाना, युद्ध में पाक के हौसले पस्त कर चुकी है ये तोप

भारत सरकार के मेक इंडिया कार्यक्रम ने अब अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है कभी स्वीडन से आयात हुई बोफोर्स तोप जिसने कारगिल युद्ध में पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए थे अब स्वीडन की कंपनी ने उस  तोप की बैरल बनाने का आर्डर कानपूर स्थित आयुध निर्माणी कानपुर (ओएफसी) को दिया और अब सेना के लिए तोप और टैंक बनाने वाली आयुध निर्माणी कानपुर (ओएफसी) ने इतिहास रच दिया। निर्माणी में बनी बैरल पहली बार स्वीडन की कंपनी बोफोर्स को शनिवार को रवाना कर दी गई। बैरलों को हवाई जहाज के माध्यम से स्वीडन भेजा जाएगा। बैरल जाने की प्रक्रिया को काफी गोपनीय रखा गया था। कभी देश की सेना के लिए बोफोर्स तोपों की खरीद की गई थी। मौजूदा समय में भी सेना इनका इस्तेमाल करती है। कारगिल युद्घ के दौरान इन तोपों ने दुश्मनों की जमकर खबर ली थी।

1986 में भारत ने खरीदी थी बोफोर्स तोपें ओएफसी के सूत्रों ने बताया कि बोफोर्स कंपनी ने निर्माणी को बोफोर्स तोप से उच्चीकृत तोप की बैरल बनाने के आर्डर 5-6 महीने पहले दिये थे। 25 जून को स्वीडन स्थित बोफोर्स टेस्ट सेंटर के दो प्रतिनिधि निर्माणी आए थे।26 और 27 जून को दोनों प्रतिनिधियों ने बैरल का निरीक्षण किया था। सूत्रों ने बताया कि कंपनी के दोनों प्रतिनिधियों को बैरल की क्वालिटी और तकनीक बेहद पसंद आई थी। क्वालिटी की विशेष सराहना की थी।

निर्माणी के सूत्रों ने बताया कि कंपनी की मांग के अनुरूप बैरल को तैयार किया गया है। 155 गुणा 52 कैलीबर तोप के लिए करीब आठ मीटर लंबी बैरल बनाई गई है। इसमें उच्च क्वालिटी वाले उत्पादों के साथ तैयार किया गया है। इसमें लगे सभी उपकरण स्वदेशी हैं।

स्वीडन कंपनी के अनुरूप तैयार की बैरल भारत सरकार ने 1986 में स्वीडन की कंपनी से कई हजार करोड़ के रक्षा खरीद के तहत 400 तोपों को खरीदा था। जिन्हें बाद में देश की सरहदों पर तैनात किया था। इसी तोप का अपग्रेड वर्जन ओएफसी और फील्डगन ने मिलकर धनुष तैयार किया है। धनुष को सेना में शामिल किया जा चुका है।