सुपर ओवर क्या होता है ?
सुपर ओवर की शुरुआत 2008 में T-20 क्रिकेट में हुई थी। इससे पहले “बाल-आउट” तरीके का इस्तेमाल किया जाता था। एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में इसकी शुरुआत 2011 में हुई थी।
सुपर ओवर (Super over) जिसे वन-ओवर एलिमिनेटर भी कहा जाता है, एक टाई-ब्रेकिंग विधि है, जिसे सीमित ओवरों के क्रिकेट मैसों में प्रयोग किया जाता है। जब निर्धारित ओवरों मे मैंच का फैसला नहीं हो पाता है और मैच को टाई घोषित किया जाता है, तब मैच में विजेता टीम को चुनने के लिए दोनों टीमों को अतिरिक्त छह-छह गेदें दी जाती है और सुपर ओवर में पहले बैटिंग वह टीम करती है, जो निर्धारित ओवरों में लक्ष्य का पीछा कर रही होती है। इस सुपर ओवर में प्रत्येक टीम के कप्तान द्वारा तीन नामों की घोषणा की जाती है, जो बल्लेबाजी के लिए उतरते हैं।
इस सुपर ओवर में जिस टीम ने ज्यादा रन बनाए उसे विजेता घोषित किया जाता है, लेकिन यदि सुपर ओवर में भी दोनों टीमों ने बराबर रन बनाए हों, तो विजेता का फैसला सुपर ओवर में लगाई गई बाउण्ड्री और निर्धारित ओवरों में लगाई गई बाउण्ड्री के आधार पर किया जाता है और दोनों प्रारूपों में जिस टीम में सबसे ज्यादा बाउण्ड्री लगाई होती हैं, वह टीम उस मैच को जीत जाती है।