शिक्षा का अधिकार
1: हाल ही में राज्यसभा में निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार (संशोधन) विधेयक, 2018 पारित किया गया। विधेयक में संशोधन के बाद स्कूलों में अनुत्तीर्ण छात्रों को उसी कक्षा में रोकने या न रोकने का अधिकार राज्यों के पास होगा।
2: शिक्षा का अधिकार के मौजूदा प्रावधान के अनुसार, छात्रों को आठवीं कक्षा तक फेल होने के बाद भी अगली कक्षा में प्रवेश दे दिया जाता है, इसे ही ‘नो डिटेंशन पालिसी’ के नाम से जानते हैं।
3: इस पॉलिसी का मुख्य उद्देश्य यह था कि छात्रों की सफलता का मूल्यांकन केवल उनके द्वारा परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर न किया जाय बल्कि इसमें उनके सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखा जाय।
4: किंतु, इसके लागू होने के कुछ ही वर्षों में यह शिकायत मिलने लगी कि बच्चों में उनकी कक्षा के स्तर की अपेक्षित जानकारी नहीं है जिस कारण उनके सीखने के स्तर में लगातार गिरावट आ रही है। ऐसा माना जा रहा है कि इस पॉलिसी के लागू होने से छात्र और अभिभावक दोनों पढ़ाई के प्रति उदासीन हो गए थे, जिससे सीखने और सिखाने की प्रक्रिया में गिरावट आई।