नेपाल के कई शिक्षण संस्थानों में चीनी भाषा को अनिवार्य किया गया
नेपाल के कई स्कूलों एवं शिक्षण संस्थानों में चीनी भाषा मंडरिन को अनिवार्य कर दिया गया है | चीन अपनी भाषा का विश्व स्तर पर विस्तार करने कि पूरी कोशिश में लगा हुआ है | इसमें नेपाल ही नहीं बल्कि कई अफ्रीकी देश भी शामिल हैं जहां चीनी भाषा का ज्ञान बच्चों को दिया जाता है |
चीन इन देशों को आर्थिक सहायता प्रदान करता है और इसके एवज में चीन अपनी संस्कृति का विस्तार भी करता है | भारत के लगभग सभी पड़ोसी देशों को चीन आर्थिक सहायता दे रहा है और उसका वर्चस्व इन देशों में धीरे धीरे बढ़ता ही जा रहा है | यह भारत के लिए सच में एक चिंता का विषय है क्योंकि भारत अपनी मूल भाषा हिन्दी को अपने ही देश में अनिवार्य करने में सक्षम नहीं है | जहां दक्षिण भारत के राज्य हिन्दी भाषा को अपनाने के लिए तैयार नहीं हैं और इसका जमकर विरोध भी करते हैं, वहीं दूसरी ओर चीन अपने देश के अलावा अपनी मूल भाषा को अन्य देशों को सिखा रहा है |
इसके लिए चीन ने अन्य देशों में अपने शिक्षकों की भी व्यवस्था की है और उनके लैंगवेज सेंटरों में उच्चकोटि की व्यवस्थाएँ भी हैं | नेपाल द्वारा ऐसा कदम उठाए जाने के बाद यह तो तय हो चुका है कि आने वाले समय में भारत और नेपाल के रिश्तों में खटास भी आएगी और यह लंबे समय में दोनों के रिश्तों पर काफी नकारात्मक प्रभाव डालने वाला है |