आखिर आज संयुक्त राष्ट्र पाई-पाई के लिए मोहताज क्यों है?

क्या आप कभी यह सोच सकते हैं कि एक ऐसी अतंरराष्ट्रीय संस्था, जो दुनिया के सदस्य देशों के लिए दिशा निर्देश जारी करती है |उसके पास अपने कर्मचारियों को सैलरी देने के पैसे भी नहीं हैं | संयुक्त राष्ट्र, दुनिया के 193 देशों के लिए काम करता है और संयुक्त राष्ट्र ने अपने सभी सदस्य देशों को साफ साफ बताया है कि अब उसके पास अपने 37 हजार कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए भी पैसे नहीं है | संयुक्त राष्ट्र का इस वर्ष का बजट लगभग 23 हजार करोड़ है जबकि उसे अभी तक सिर्फ 14 हजार करोड़ रुपए ही मिले हैं | यानी संयुक्तराष्ट्र  को अभी और 9 हजार करोड़ रुपए चाहिए |

संयुक्त राष्ट्र अपना खर्च चलाने और दुनिया में शांति बनाए रखने के लिए अपने 193 सदस्य देशों से मिलनेवाली रकम पर निर्भर है  और इस वर्ष दुनिया के सिर्फ 34 देशों ने संयुक्त राष्ट्र को वक्त पर पैसा दिया है | जिसमें भारत भी शामिल है आपको हैरानी होगी कि छोटे छोटे देशों ने तय वक्त पर संयुक्तराष्ट्र  को राशि दे दी लेकिन 5 सबसे शक्तिशाली  देश अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन ने अंतिम तारीख से पहले रकम नहीं दी है | ये वो देश हैं जिसे संयुक्त राष्ट्र ने बड़े अधिकार दिए हैं |

संयुक्तराष्ट्र  में आर्थिक संकट के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार वो 64 देश हैं. जिन्होंने अब तक बकाया पैसे नहीं दिए हैं. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इसमें दुनिया का सबसे अमीर देश अमेरिका भी शामिल है .इस लिस्ट में सऊदी अरब, ओमान, ब्राजील, इज़रायल और मैक्सिको जैसे देश हैं .

वर्ष 2019 के आंकड़ों के मुताबिक संयुक्तराष्ट्र  का बजट 23 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा है. और इसमें 22 प्रतिशत यानी करीब 4700 करोड़ रुपए अमेरिका की देनदारी है जो उसने अभी तक नहीं दिये हैं | सिर्फ इतना ही नहीं अमेरिका पर वर्ष 2018 का भी 2700 करोड़ रुपए बकाया है  लेकिन अब तक उसका भी भुगतान नहीं किया गया है |

वर्ष 2019 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र के बजट में 165 करोड़ रुपए का योगदान दिया था | इससे पहले वर्ष 2013 में भारत ने सिर्फ 120 करोड़ रुपए दिए थे यानी पिछले 6 वर्षों में भारत का योगदान 38 प्रतिशत बढ़ गया है संयुक्त राष्ट्र का एक खास नियम है जिसकी मदद से ये तय होता है कि हरेक सदस्य देश कितनी रकम देंगे . किसी भी देश की आमदनी और जनसंख्या के आधार पर ये फैसला किया जाता है कि वो संयुक्तराष्ट्र  के बजट में कितनी राशि देंगे |

वर्ष 1948 में संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की गई थी | 50 के दशक में विश्व में दो महाशक्तियां थीं लेकिन बदलते वक्त के साथ अब दुनिया में कई महाशक्तियां हैं इसलिए अब संयुक्त राष्ट्र में भी बड़ा बदलाव जरूरी है. संयुक्तराष्ट्र  की स्थापना के समय इसमें सिर्फ 51 सदस्य देश थे जो अब बढ़कर 193 हो चुके है| भारत संयुक्त राष्ट्र के उन प्रारंभिक सदस्यों में शामिल था जिन्होंने वर्ष 1942 में संयुक्त राष्ट्र घोषणा पर हस्ताक्षर किए थे |

आप कह सकते हैं संयुक्तराष्ट्र  एक पुराना परिवार है इसमें अनुभवी सदस्य तो हैं लेकिन इसे सुधार और नए जमाने के विचारों की बहुत जरूरत है . पिछले 7 दशकों में दुनिया के सिर्फ 5 देशों का संयुक्तराष्ट्र  में दबदबा रहा है . अब वक्त आ गया है कि संयुक्तराष्ट्र  को नए स्वरूप मैं तैतार किया जाय जो आतंकवाद जैसी समस्याओं का मुकाबला करके शांति स्थापित करे और इस बदलाव की शुरुआत भारत जैसे युवा देश को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता देकर की जा सकती है |