भारत के ऐसे मंदिर जहां पुरुषों का प्रवेश है वर्जित

भारत में कई ऐसी धार्मिक जगहें हैं, जहां महिलाओं का प्रवेश प्रतिबंधित है, उन्हें अंदर प्रवेश करने की इजाजत नहीं है. लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं।

माँ भगवती मंदिर: कन्याकुमारी के इस मंदिर में भगवती के कन्या रूप की पूजा होती है. इस मंदिर में पुरुष परिसर तक में नहीं जा सकते. अलबत्ता संन्यासी पुरुष मंदिर के द्वार तक जा सकते हैं।

त्रयंबकेश्वर मंदिर (नासिक): यहां एक सीमा के बाद महिलाओं को जाने की इजाजत नहीं थी लेकिन पुरुष जरूर आगे तक जा सकते थे. जब ये मामला बाम्बे हाईकोर्ट में पहुंचा तो पुरुषों के भी आंतरिक परकोटे में प्रवेश की अनुमति पर पाबंदी लगा दी गई.

ब्रह्मा मंदिर पुष्कर: पुराणों का सुझाव है कि भगवान ब्रह्मा ने पुष्कर झील में पत्नी देवी सरस्वती के साथ एक यज्ञ किया था. लेकिन सरस्वती किसी बात के लिए नाराज हो गईं. तब उन्होंने मंदिर को शाप दिया कि “किसी विवाहित व्यक्ति को आंतरिक परकोटे में जाने की इजाजत नहीं है अन्यथा उसके वैवाहिक जीवन में एक समस्या उत्पन्न होगी.” यही कारण है कि कुंवारे पुरुष तो मंदिर में जा सकते हैं लेकिन विवाहित पुरुषों का प्रवेश वर्जित है.

संतोषी माँ मंदिर: संतोषी मां का व्रत महिलाएं और कुंवारी लड़कियां ही रखती हैं. इस समय उन्हें खट्टी चीज़ें खाने की अनुमति नहीं होती. बेशक पुरुष संतोषी मां की पूजा तो कर सकते हैं लेकिन शुक्रवार को संतोषी मां के किसी भी मंदिर में उनका प्रवेश वर्जित होता है.

कामाख्या मंदिर: ये मंदिर केवल महिलाओं को मासिक धर्म चक्र के दौरान परिसर में प्रवेश की अनुमति देता है. केवल महिला पुजारी या संन्यासी मंदिर की सेवा करते हैं, जहां मां सती के मासिक धर्म को बहुत शुभ माना जाता है और भक्तों को वितरित किया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र के साथ मां सती को काट दिया था जिसके कारण उनकी कमर उस स्थान पर गिर गया, जहां मंदिर बनाया गया था.