CAA पर सुप्रीम कोर्ट ने कह दी इतनी बड़ी बात, विरोध करने वालों के उड़ जाएंगे होश

मोदी सरकार द्वारा लाए गए CAA को लेकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने बड़ी बात कही है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA) को संवैधानिक करार देने के लिए एक याचिका दायर की गई है। इस दौरान चीफ जस्टिस एस. ए. बोबडे ने कड़ी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा है कि अभी देश काफी मुश्किल वक्त से गुजर रहा है, ऐसे में इस तरह की याचिकाएं दाखिल करने से कुछ फायदा नहीं बल्कि शांति बहाली का काम करें।

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आज सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा है कि देश अभी मुश्किल दौर से गुजर रहा है। ऐसे में इस वक्त हर किसी का लक्ष्य शांति स्थापित करना होना चाहिए। इस तरह की याचिकाओं से कोई मदद नहीं मिलेगी।

इस कानून के संवैधानिक होने पर अभी अनुमान लगाया जा रहा है। चीफ जस्टिस ने इस दौरान ये भी कहा कि हम कैसे घोषित कर सकते हैं कि संसद द्वारा अधिनियम संवैधानिक है? हमेशा संवैधानिकता का अनुमान ही लगाया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट में कहा गया है कि कि नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA) के खिलाफ जो भी याचिकाएं दाखिल की गई हैं, उनकी सुनवाई तभी शुरू होगी जब हिंसा पूरी तरह से रुक जाएगी। वकील विनीत ढांडा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी कि CAA को संवैधानिक घोषित किया जाए। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने की।

आपको बता दें कि इससे पहले नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ सर्वोच्च अदालत में कई याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं लेकिन अभी किसी पर भी सुनवाई नहीं हुई है। इससे पहले भी मोदी सरकार के द्वारा लाए गए इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहले ही दर्जनों याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, TMC सांसद महुआ मोइत्रा समेत कई नेताओं, संगठनों ने सर्वोच्च अदालत में CAA को गैर-संवैधानिक करार देने की अपील की थी।

इन सभी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस भेजा था और सरकार का पक्ष मांगा था। सर्वोच्च अदालत की ओर से केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए चार हफ्ते का समय दिया था।

नागरिकता संशोधन एक्ट में बांग्लादेश-पाकिस्तान-अफगानिस्तान से आए हुए हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दिए जाने की बात कही गई है। जिसका विपक्ष समेत कई संगठन इस कानून को संविधान विरोधी, अल्पसंख्यक विरोधी बता कर विरोध कर रहे हैं।