जानिए सॉफ़्ट टिशू सर्कोमा कैंसर बीमारी के बारे में, जो अरुण जेटली जी की मौत का कारण बना
शनिवार दोपहर को भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का निधन हो गया. जेटली जी कई बीमारियों से पीड़ित थे और काफी लम्बे से उनका उपचार चल रहा था लेकिन किडनी के अलावा वो एक ऐसी दुर्लभ कैंसर की बीमारी से पीड़ित थे जिसके कारण उनकी मौत हुई .
नौ अगस्त को सांस लेने और बेचैनी की शिकायत के बाद उनको एम्स में भर्ती कराया गया था लेकिन उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था और दिन प्रतिदिन हालत बिगड़ती गयी .एम्स के डॉक्टर्स के अनुसार उनकी ‘हालत नाजुक है लेकिन ‘हीमोडायनैमिकली’ स्थिर है.’ इसका मतलब था कि दिल ठीक तरीके से काम कर रहा था और उनके शरीर में रक्त का संचार सामान्य था.
भूतपूर्व वित्त मंत्री जेटली जी को एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर था जिसे सॉफ़्ट टिशू सर्कोमा कहते हैं. ये कैंसर मांसपेशियों, ऊतकों (टिशू), तंत्रिकाओं और जोड़ों में इतना धीरे धीरे फैलता है कि इसका पता लग पाना मुश्किल होता है.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि शरीर में बहुत से नान कैंसरस ट्यूमर होते हैं और इसीलिए इनका बाकी हिस्से में प्रसार नहीं होता और ना ही वे घातक होते हैं.
लेकिन जिन ट्यूमर में कैंसर की आशंका होती है वो धीरे धीरे अनियंत्रित होता जाता है. इसे सॉफ़्ट टिशू सर्कोमा के नाम से जाना जाता है.
विशेषज्ञों के मुताबिक ये बीमारी शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है लेकिन खास कर हाथ और पैरों की मांसपेशियों में ये आम तौर पर होती है.
क्या है इसके लक्षण
शुरुआत में इसके कोई भी लक्ष्ण सामने नहीं आ पाते है। लेकिन, यहां आपको बता दें कि जब भी आपकी मासपेशियों या नसों में तेज दर्द हो तो इसे नजरअंदाज ना करें। आप तुरंत अपने डॉक्टर से इसके बारे में संपर्क करें।
इस बीमारी के लक्षणों में मांसपेशियों में सूजन, हड्डियों में दर्द और लंबे समय से गांठ का बना होना शामिल है.यदि आपको अपने शरीर के किसी भी हिस्से में गांठ दिखे और ये लगातार बढ़ती रहे तो ये भी इस कैंसर का एक लक्षण हो सकता है.
पेट में दर्द होना और इसका धीरे-धीरे बढ़ना भी इसका एक संकेत हो सकता है.
इस तरह करें बचाव
जैसे ही आपको इन सभी से कोई भी लक्ष्ण दिखाई दें तो तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करें। सबसे जरुरी है कि सॉफ्ट टीशू सर्कोमा कैंसर के प्रकार के बारे में पता लगाया जाए। इसके लिए डॉक्टर आपके कई टेस्ट करेंगे। फिर वह इमेजिंग टेस्ट, बायोप्सी, रेडिएशन, कीमोथेरेपी और ड्रग्स के जरिए इलाज कर सकते हैं।