केंद्र सरकार को लगा सबसे बड़ा झटका, इस राज्य ने खारिज किया भारत का संविधान

भारत सरकार 1997 से नागा मुद्दों को लेकर एनएससीएन  से बातचीत कर कर रही थी।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार  की शांति वार्ता की पहल को पूर्वोत्तर भारत के राज्य नागालैंड से सबसे बड़ा झटका लगा है। पीएम मोदी  ने नागालैंड के तत्कालीन राज्यपाल एन रवि को शांति वार्ता को जल्द संपन्न कराने के निर्देश दिए थे, लेकिन अब नागालैंड मामले के मुख्य वार्ताकार संगठन एनएससीएन (आईएम) ने भारत के संविधान को मानने से इनकार कर दिया है। नागालैंड के भारत में विलय को भी एनएससीएन  ने खारिज कर दिया।

एनएससीएन  का कहना है कि उसने यह कदम राज्यपाल रवि के साथ मतभेदों के बाद उठाया है। खबर है कि शांति प्रक्रिया की बातचीत में रवि ने प्रदेश के 7 अन्य नगा विद्रोही समूहों को शामिल कर लिया था, जिससे एनएससीएन  नाराज था। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नही है कि एनएससीएन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में साल 2015 में हस्ताक्षरित फ्रेमवर्क समझौते को खारिज किया है या नहीं।

आपको बता दें कि इस बाबत एनएससीएन  के एक सदस्य ने बताया कि नगा मुद्दों की बातचीत में भारत सरकार और नैशनल सोशलिस्ट कौंसिल ऑफ नागालिम दो पक्ष थे। इन पक्षों में से किसी भी अन्य स्टेकहोल्डर्स शामिल नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार एनएससीएन  के साथा वार्ता इसलिए कर रही है क्योंकि एनएससीएन  ही नागालैंड का संपूर्ण रूप से प्रतिनिधित्व करता है।

एनएससीएन  की ओर से कहा गया है कि नगा भारत के साथ विलय नहीं करेंगे लेकिन दो पक्षों के रूप में भारत संघ के साथ सह-अस्तित्व में रहेंगे। उधर राज्यपाल रवि द्वारा हस्ताक्षरित फ्रेमवर्क में कहा गया है कि इसमें किसी को भी संदेह नहीं होना चाहिए कि फ्रेमवर्क एग्रीमेंट ही नगा और भारतीयों के लिए मीटिंग का केंद्र​ बिंदु है। नगा मुद्दों के अंतिम समाधान के लिए फ्रेमवर्क एग्रीमेंट ही आधार है। रवि पूर्व में भी नगा शांति वार्ता के वार्ताकार रहे हैं जिन्हें केंद्र सरकार ने हाल ही में प्रदेश का नया राज्यपाल नियुक्त किया है।