आखिर क्यों हुई परवेज़ मुशर्रफ को सज़ा-ए-मौत, जानें कारण
परवेज़ मुशर्रफ़ पाकिस्तान के राष्ट्रपति और सेना प्रमुख रह चुके हैं। इन्होंने साल 1999 में नवाज़ शरीफ की लोकतान्त्रिक सरकार का तख्ता पलट कर पाकिस्तान की बागडोर संभाली और 20 जून, 2001 से 18 अगस्त 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे।
पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ को राजद्रोह मामले में पाकिस्तान की एक अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है. यह सजा मुशर्रफ पर लगे आरोप के लिए गठित विशेष अदालत ने सुनाई है।
दरअसल, पाकिस्तान की शीर्ष अदालत द्वारा गठित एक विशेष पीठ जिसमें पेशावर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश वकार अहमद सेठ अकबर और सिंध उच्च न्यायालय (लाहौर) के न्यायाधीश शाहिद करीम शामिल थे, उन्होंने यह फैसला सुनाया है।
क्यों लगा राजद्रोह का मामला:
डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, परवेज मुशर्रफ मार्च 2016 से दुबई में रह रहे हैं. मुशर्रफ संविधान को भंग करने और 2007 में आपात शासन लगाने के मामले में राजद्रोह के आरोपों का सामना कर रहे हैं.
उन्होंने साल 2007 में एक आदेश जारी किया था. तब सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति चुने जाने के लिए फिर से करवाए जा चुके चुनाव की वैधता पर फैसला आना था. मुशर्रफ ने इस फैसले के आने से पहले ही सेना प्रमुख के पद पर रहते हुए पाकिस्तान में राष्ट्रपति शासन लागू करने का फैसला ले लिया. तब वे सेना प्रमुख थे.
मुशर्रफ को इसी मामले में 31 मार्च, 2014 को दोषी ठहराया गया था. 76 साल के मुशर्रफ उपचार के लिए मार्च 2016 में दुबई गए थे और तब से सुरक्षा व स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर नहीं लौटे हैं।