जानिए उस पुरातत्वविद के बारे में जिसके सर्वेक्षण ने अयोध्या केस की दिशा बदल दी
सुप्रीम कोर्ट ने आज अयोध्या मंदिर विवाद पर अपना ऐतिहासिक फैसला दिया जिसमें अदालत ने रामलला पक्ष को विवादित जमीन का मालिकाना हक देने का आदेश दिया है. वहीं मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया. इस मुद्दे की जब जब बात होगी तो एक आदमी जो बार बार याद किया जाएगा वह है पुरातत्वविद के. के. मुहम्मद.
के के मुहम्मद वही पुरातत्वविद हैं जिन्होंने सबसे उल्लेखनीय योगदान बाबरी मस्जिद के नीचे एक मंदिर दबे होने की खोज को दुनिया के सामने लाए थे. पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग के बी बी लाल की टीम जिसने 1976 में राम जन्म भूमि संबंधी पुरातात्विक की खुदाई की थी. उन्होंने उस दौरान यह बयान देकर सनसनी फैला दी थी कि ‘अयोध्या में राम का अस्तित्व है.’ इस बयान के बाद उन्हें विभागीय कार्रवाई का सामना भी करना पड़ा था. लेकिन के के मोहम्मद अपने बयान पर कायम रहे थे और उन्होंने कहा था कि झूठ बोलने से अच्छा है कि ‘मैं मर जाऊं.’
के के मुहम्मद सिर्फ एक पुरातत्वविद नहीं हैं जिन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के निदेशक के तौर पर काम किया बल्कि यह वह पुरातत्वविद है जिसने प्राचीन मंदिरों को सहेजने में अपनी पूरी जिंदगी लगा दी. यही नहीं मोहम्मद फतेहपुर सीकरी में अकबर के इबादत खाना सहित कई प्रमुख खोज में शामिल रहे हैं.
उन्होंने अपनी किताब ‘मैं भारतीय हूं‘ में अपनी खोज की पूरी यात्रा को बहुत विस्तार से लिखा है. वह अपनी किताब में लिखते हैं कि जब अयोध्या में राम जन्मभूमि के मालिकाना हक को लेकर 1990 में पहली बार पूरे देश में बहस जोड़ पकड़ रही थी तब मुझे वह दिन याद आ रहे थे जब मैं 1976-77 में पुरातात्विक अध्ययन के दौरान अयोध्या में होने वाली खुदाई में हिस्सा लेने के लिए मुझे भी भेजा गया था.