महात्मा गांधी ने क्यों नहीं रोकी भगत सिंह की फांसी, ये था इसका कारण
भारत देश में कई ऐसे वीर सपूतों ने जन्म लिया, जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया | ठीक ऐसे ही एक वीर सपूत सरदार भगत सिंह भी थे, जिन्होंने भारत देश की आज़ादी के लिए अपने प्राणों की आहूति दे दी |
महात्मा गांधी ने कहा कि भगत सिंह की बहादुरी के लिए मेरे हृदय में सम्मान उभरता है, लेकिन मुझे ऐसा मार्ग चाहिए जहां स्वयं को न्योछावर करते हुए दूसरों को नुकसान न पहुंचाया जाए | महात्मा गांधी ने अपनी किताब में लिखा कि भगत सिंह को मौत की सजा नहीं दी जानी चाहिए थी | मैं हमेशा से हिंसा का विरोधी रहा हूँ | मैं ईश्वर को साक्षी मानकर कहता हूँ कि हिंसा का रास्तों पर चलकर स्वराज नहीं मिल सकता, सिर्फ मुश्किलें मिल सकती हैं |
गांधी जी ने आगे कहा कि “मैं जितने तरीकों से वायसराय को समझा सकता था, वो मैंने किया | मैंने उन्हें एक पत्र भी लिखा जिसमें मैंने अपनी पूरी आत्मा उड़ेल दी थी | भगत सिंह अहिंसा के पुजारी नहीं थे, लेकिन हिंसा को धर्म नहीं मानते थे | इन वीरों ने मौत के डर को भी जीत लिया था, उनकी वीरता को नमन है | लेकिन उनके कृत्य का अनुकरण नहीं किया जाना चाहिए | उनके इस कृत्य से देश को लाभ हुआ, ऐसा मैं नहीं मानता | अगर खून करके शोहरत हासिल करने की प्रथा शुरू हो गई तो लोग एक दूसरे के कत्ल में न्याय तलाशने लगेंगे |” आगे भी ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारियों को पाने के लिए कृपया हमें फॉलो करें |