पाकिस्तान की पंजाब सरकार का अजीबोगरीब फैसला ,स्कूलों में लगायी अंग्रेजी पर पाबंदी,
पाकिस्तान सरकार के पंजाब प्रान्त की सरकार ने शिक्षा के छेत्र में एक ऐसा फैसला लिया जिस पर पाकिस्तान के सभी नागरिक आश्चर्य चकित रह गए हैं और इस निर्णय पर विवाद भी शुरू हो गया है . पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने एक अजीबोगरीब फैसला लिया है. वहां पब्लिक स्कूलों से अंग्रेजी मीडियम में पढ़ाई बंद करने की घोषणा की गई है. यहां शिक्षा के माध्यम में उर्दू को फिर से एक बार लागू कर दिया गया है. सरकार इसके पीछे तर्क दे रही है कि स्टूडेंट्स और टीचर्स का ज्यादातर समय ट्रांसलेशन में ही बर्बाद हो रहा था.
गौरतलब है कि मार्च 2020 से शुरू होने वाले सत्र से पंजाब प्रांत के 60,000 से अधिक पब्लिक स्कूलों में ये लागू होगा. स्थानीय मीडिया रिपोर्टस में ऐसा दावा है कि 2020 तक ये पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के करीब सभी स्कूलों में लागू हो जाएगा.
पंजाब के मुख्यमंत्री ने उर्दू को वापस माध्यम बनाने का फैसला किया है, कथित तौर पर पंजाब के मुख्यमंत्री उस्मान बुजदार अंग्रेजी पढ़ या लिख नहीं सकते हैं. पंजाब के पब्लिक स्कूलों में अंग्रेजी को पिछली पीएमएल-एन सरकार द्वारा ब्रिटेन के डिपार्टमेंट फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट और ब्रिटिश काउंसिल के परामर्श से पेश किया गया था.
इस फैसले से पंजाब सरकार के साथ साथ पाकिस्तान के पीएम प्रधानमंत्री इमरान खान को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. शिक्षाविदों ने कहा है कि ये फैसला देश को पाषाण युग की ओर वापस ले सकता है. जबकि वहां के सीएम का कहना है कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के घोषणापत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि शिक्षा का माध्यम प्राथमिक स्तर पर उर्दू होगा. अपने फैसले का समर्थन करने के लिए, उन्होंने दावा किया कि प्रांतीय शिक्षा विभाग ने 22 जिलों में छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों का एक सर्वेक्षण किया जिसमें करीब 85 फीसदी ने उर्दू के पक्ष में वोट दिया.
ट्विटर पर लोगों ने कहा कि आपके अपने बच्चे कैंब्रिज स्कूलों में पढ़ें और उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका और ब्रिटेन जाएंगे जबकि गरीब बच्चे उर्दू में पढ़ाई करेंगे. अगर आप इस दुनिया में प्रतिस्पर्धा करना चाहते हैं तो पहली क्लास से अंग्रेजी पढ़ाना शुरू करना जरुरी है.