आइये आज जानते है , क्या है डकवर्थ- लुईस नियम और किस टीम को मिलता है इसका फायदा
आईसीसी का डकवर्थ लुईस नियम के बारे में हम सभी ने सुना है जब भी किसी मैच में बारिश की वजह से रूकावट आती है तो डकवर्थ लुईस नियम के अनुसार नए स्कोर और नए ओवर की संख्या के साथ दोबारा मैच शुरू किया जाता है ।हम सभी जानते हैं कि आईसीसी का डकवर्थ लुईस नियम बहुत पेंचीदा है जो हमेशा ही विवादों में रहा है। आज हम इस नियम के बारे में बात करते हैं कि आखिर इसके तहत होता क्या है।
डकवर्थ लुईस नियम का अविष्कार सांख्यिकी विशेषज्ञय फ्रैंक डवकर्थ और टोनी लुईस ने किया था और इस वजह से इन दो शख्स के नाम पर नियम का नाम रखा गया । इंटरनेशनल क्रिकेट में पहली बार डकवर्थ लुईस नियम का इस्तेमाल 1996-97 में जिम्बाब्वे – इंग्लैंड के बीच हुआ मैच में किया गया था।
- इस नियम के अनुसार क्रिकेट के खेल में दोनों टीमों के पास अधिक से अधिक रन बनाने के दो साधन मौजूद हैं कुल बचे हुए ओवर और बाकी बचे हुए विकेट। मैच के किसी मोड़ पर टीमों की रन बनाने की क्षमता इन्हीं दोनों साधनों पर निर्भर करती है इसके आधार पर फैंक डकवर्थ और टोनी लुईस ने एक सूची तैयार की है जिससे यह पता चलता है कि मैच अलग -अलग पड़ावों पर बल्लेबाज़ी कर रही टीम के पास कितने प्रतिशत साधन बाकी हैं।
- सूची को देखने के बाद पता चलता है कि पारी शुरु होने के समय जब पूरे 50 ओवर और 10 विकेट आउट होने बाकी होते हैं तो रन बनाने के साधान 100 प्रतिशत होते हैं ।इसके बाद जैसे ही टीम ओवर निकालती और विकेट खोती है उनके साधन कम हो जाते हैं।