क्या आप जानते हैं कि किस बीमारी को ‘दिमागी बुखार’ के नाम से भी जाना जाता है ?
जापानी इन्सेफेलाइटिस
चावलों के खेतों में पनपने वाले मच्छरों से (प्रमुख रूप से क्युलेक्स ट्रायटेनियरहिंचस समूह)। यह मच्छर जापानी एनसिफेलिटिस वायरस से संक्रमित हो जाते हैं (सेंट लुई एलसिफेलिटिस वायरस एंटीजनीक्ली से संबंधित एक फ्लेविवायरस)। जापानी एनसिफेलिटिस वायरस से संक्रमित मच्छरों के काटने से होता है।
जापानी एनसेफेलाइटिस वायरस से संक्रांत पालतू सूअर और जंगली पक्षियों के काटने पर मच्छर संक्रांत हो जाते है। इसके बाद संक्रांत मच्छर पोषण के दौरान जापानी एनसेफेलिटिस वायरस काटने पर मानव और जानवरों में जाते हैं। जापानी एनसेफेलिटिस वायरस पालतू सूअर और जंगली पक्षियों के रक्त प्रणाली में परिवर्धित होते हैं। जापानी एनसेफेलिटिस के वायरस का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं होता है। उदारहण के लिए आपको यह वायरस किसी उस व्यक्ति को छूने या चूमने से नहीं आ सकता जिसे यह रोग है या किसी स्वास्थ्य सेवा कर्मचारी से जिसने किसी इस प्रकार के रोगी का उपचार किया हो। केवल पालतू सूअर और जंगली पक्षी ही जापानी एनसेफेलिटिस वायरस फैला सकते हैं।