अयोध्या केस को लेकर आने वाला है आखिरी फैसला, मंदिर निर्माण के लिए 60% शिलाएं तैयार

अयोध्या राम मंदिर भूमि विवाद को लेकर आखिरी फैसला आने वाला है. इस बीच एक तरफ अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए पत्थर तराशने के काम साठ फीसदी तक पूरा हो चुका है. दूसरी तरफ मुस्लिम बुद्धिजीवियों की तरफ से कुछ ऐसी आवाजें भी उठ रही हैं, जो चाहती हैं मामला कोर्ट के बाहर हल किया जाए और विवादित भूमि मंदिर निर्माण के लिए दे दी जाए. लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ये पेशकश ठुकरा दी है. इस बीच सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रही है.

मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम की नगरी अयोध्या, अयोध्या जिनकी देश और दुनिया में पहचान श्रीराम की वजह से है. राम का नाम अयोध्या की पवित्रता को बढ़ाता है. इस नगरी को हिंदुओं के लिए सबसे पूजनीय बनाता है. क्या राम की नगरी में राम के मंदिर के पक्ष में सिर्फ हिंदू खड़े हैं. ऐसा नहीं है मुस्लिम बुद्धिजीवियों का एक तबका चाहता है इस पूरे विवाद को निपटारा सुप्रीम कोर्ट के बाहर ही हो जाए. ये मुस्लिम हिंदुओं की भावनाओं को ख्याल रखते हैं हुए विवादित भूमि मंदिर निर्माण के लिए दे दें.

मंदिर निर्माण के लिए हिंदुओं को मिले ज़मीन 
मुसलमानों से विवादित जमीन हिंदुओं को देने की अपील करने वाले मुस्लिम बुद्धिजीवी इंडियन मुस्लिम फॉर पीस संस्था के बैनर तले लखनऊ में इकट्ठे हुए थे. इनमें नामचीन डॉक्टर, इंजीनियर, प्रशासनिक अफसर, शिक्षाविद्, रिटायर्ड जज शामिल थे। और इन मुस्लिम बुद्धिजीवियों को लगता है कि मुस्लिम समाज का हित भूमि हिंदुओं को देने में है. मुस्लिम बुद्धिजीवियों का ग्रुप चाहता है.

मुस्लिम बुद्धिजीवियों का फॉर्मूला
सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के जरिए जमीन सरकार को सुपुर्द कर दी जाए. मस्जिद गिराने वालों को जल्द सजा दी जाए. अयोध्या की दूसरी मस्जिदों का रख रखाव किया जाए. ASI के जरिए पुरानी मस्जिदों, दरगाहों पर नमाज़ पढ़ने की इजाजत दे दी जाए. लेकिन आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अयोध्या मामले में अपने पुराने स्टैंड पर कायम है और किसी भी तरह के समझौते से इनकार कर रहा है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मुताबिक अयोध्या भूमि विवाद में किसी भी तरह के सुलह समझौते की गुंजाइश नहीं है, जो जमीन मस्जिद के लिए वक्फ कर दी जाती है उसे मुसलमान न तो किसी को दे सकते हैं और न ही उसे छोड़ सकते हैं. इस बारे में कोशिश हो चुकी है लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान होगा. किसी भी तरह से इस जमीन को किसी को भी ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है.

इस बीच अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के पक्ष में जोर शोर से जुटी विश्व हिंदू परिषद ने भी कहा सभी पक्षों को साथ आकर मंदिर निर्माण में सहयोग देना चाहिए. इधर केंद्र और राज्य सरकार की नजरें भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हुई हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मानते हैं अयोध्या में मंदिर निर्माण पर आने वाला फैसला देश में सामाजिक सौहार्द के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होने वाला है.

जाहिर सी बात है सिर्फ हिंदू नहीं मुस्लिमों में भी एक बड़ा तबका चाहता है अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सभी को इंतज़ार है लेकिन फैसले से पहले अगर मुस्लिम समुदाय इस विवाद को हल करने में बड़ा दिल दिखाता है तो देश में आपसी भाईचारे की ऐसी मिसाल कायम होगी जिससे देश और ज्यादा मजबूत होगा और दो समुदायों में प्यार और अपनापन और गहरा होगा. अयोध्या जमीन विवाद में पक्षकार इकबाल अंसारी ने भी कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला हर किसी को मानना चाहिए. इकबाल अंसारी ने कहा है कि अयोध्या मामले पर राजनीति की वजह से 70 साल मामला लटका रहा.