“राजा को मंदिर का धन जब्त कर लेना चाहिए” – यह कथन किसका है ?
कौटिल्य
Chankya चाणक्य चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री के रूप मे गुरू थे।चाणक्य का पूरा नाम चाणक्य ब्रह्मभटृ था।इनका जन्म ब्राह्मण जाती के ब्रह्मभटृ परिवार में हुआ था।वे वेद और शास्त्र के प्रचण्ड विद्वान थे।
उनकी बढती प्रतिभा को देखते हुये उस समय के राज पुरोहित एवं बाह्मणों ने उनकों द्रविड़ बाह्मण कह कर उपहास करने लगे।इन सब उपहासो के कारण उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गयी।कह सकते हैं चाणक्य का प्रथम प्रतिद्वंद्वी उस समय के चापलूस बाह्मण ही थे।इन सब उपहासो के बावजूद उन्होंने कई ग्रंथो की रचना किये।चाणक्य राजनीति में कूटनीति के रचयिता थे।किसी को भी बिना लडाई के कूटनीति तरीका से परास्त करने का अद्भुत कला थी।इसलिए चाणक्य का दूसरा नाम कौटिल्य हूआ था।