मतदाताओं के हाथ में लगाये जाने वाली स्याही क्या होती है ?
सिल्वर नाइट्रेट
चुनावी स्याही को बनाने के लिए सिल्वर नाइट्रेट केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है जिसे कम-से-कम 72 घंटे तक त्वचा से मिटाया नहीं जा सकता.सिल्वर नाइट्रेट केमिकल को इसलिए इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि यह पानी के संपर्क में आने के बाद काले रंग का हो जाता है और मिटता नहीं है.
जब चुनाव अधिकारी वोटर की उंगली पर स्याही लगाता है तो सिल्वर नाइट्रेट हमारे शरीर में मौजूद नमक के साथ मिलकर सिल्वर क्लोराइड बनाता है.सिल्वर क्लोराइड पानी घुलता नहीं है और त्वचा से जुड़ा रहता है. इसे साबुन से धोया नहीं जा सकता. यह निशान तभी मिटता है जब धीरे-धीरे त्वचा के सेल पुराने होते जाते हैं और वे उतरने लगते हैं.
यह स्याही दक्षिण भारत में स्थित एक कंपनी में बनाई जाती है. मैसूर पेंट एंड वार्निश लिमिटेड (MVPL) नाम की कंपनी इस स्याही को बनाती है. साल 1937 में इस कंपनी की स्थापना हुई थी. उस समय मैसूर प्रांत के महाराज नलवाडी कृष्णराजा वडयार ने इसकी शुरुआत की थी.