देश हित को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार का RCEP समझौते पर दस्तखत से इन्कार

भारत ने दक्षिण-पूर्वी एवं पूर्व एशिया के 16 देशों के बीच मुक्त व्यापार व्यवस्था के लिए प्रस्तावित क्षेत्रीय समग्र आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) समझौते को अपने लाखों लोगों के जीवन एवं आजीविका के लिए प्रतिकूल बताते हुए आज उस पर हस्ताक्षर करने से साफ इन्कार कर दिया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यहां तीसरी आरसीईपी शिखर बैठक में दो टूक शब्दों में भारत का फैसला सुना दिया.

आइये पहले अब जानते हैं कि RCEP है क्या , आरसीईपी एक ट्रेड अग्रीमेंट है जो सदस्य देशों को एक दूसरे के साथ व्यापार में सहूलियत प्रदान करता है. अग्रीमेंट के तहत सदस्य देशों को आयात और निर्यात पर लगने वाला टैक्स नहीं भरना पड़ता है या बहुत कम भरना पड़ता है. RCEP में 10 आसियान देशों के अलावा भारत, चीन, जापान, साउथ कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यू जीलैंड के शामिल होने का प्रावधान था, जिसमें से अब भारत ने इसमें से बाहर रहने का फैसला किया है.

विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) विजय ठाकुर सिंह ने यहां संवाददाताओं को यह जानकारी दी. श्रीमती सिंह ने कहा कि भारत ने शिखर बैठक में इस समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करने के निर्णय की जानकारी दे दी है. यह निर्णय मौजूदा वैश्विक परिस्थिति तथा समझौते की निष्पक्षता एवं संतुलन दोनों के आकलन के बाद लिया गया है. श्रीमती सिंह ने संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा कि समझौते में शामिल नहीं होने के कारणों से समझौते के सभी पक्षकार अच्छी तरह से अवगत हैं. उनका कोई समाधान नहीं निकला. भारत को अपेक्षा थी कि बातचीत से एक निष्पक्ष एवं संतुलित निष्कर्ष निकलता लेकिन हमने पाया कि ऐसा नहीं हो सका. इसलिए हमने अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रख कर यह निर्णय लिया है.