सुषमा स्वराज : भारतीय राजनीति का एक चमकता सितारा ,जिसकी चमक पूरे विश्व में थी
भारतीय राजनीति में सुषमा स्वराज का ऐसा स्थान था जो उनके जाने के बाद शायद ही कोई भर पाये । उनका व्यक्तित्व इतना विशाल था कि बड़े बड़े राजनेता उनके सामने बौने दिखाई देते थे । प्रखर वक्ता ,साफ़ छवि ,कार्य के प्रति समर्पित और निडर हो कर निर्णय लेने वाली उनकी अनेको ऐसी विशेषताएं है जिनके बारे में घंटो बात की जा सकती है । लोग उन्हें ‘जन मंत्री के नाम से पुकारते थे क्योंकि वह ऊँचे पद पर होते हुए भी जन सामान्य से जुड़ी रही ।
वह जब विदेश मंत्री बनीं तो उन्होंने आम आदमी को विदेश मंत्रालय से जोड़ दिया। वह सिर्फ एक ट्वीट पर विदेश में फंसे किसी भारतीय की मदद के लिए तुरंत सक्रिय हो जाती थीं।निधन से कुछ घंटे पहले भी पार्टी और इसकी विचारधारा के प्रति स्वराज का लगाव दिखा और जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्वीट कर बधाई दी। यह ‘मृत्यु’ का आभास था या कुछ और कि उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, ”अपने जीवनकाल में मैं इस दिन को देखने का इंतजार कर रही थी।” इस ट्वीट के कुछ घंटे बाद हृदय गति रुक जाने से यहां स्थित एम्स में उनका निधन हो गया। वह 67 साल की थीं। वर्ष 2016 में उनका गुर्दा प्रतिरोपण हुआ था ।
वह इंदिरा गांधी के बाद देश की दूसरी महिला विदेश मंत्री थीं। सुषमा स्वराज जी को हरियाणा सरकार में सबसे युवा कैबिनेट मंत्री होने का श्रेय भी मिला था। इसके साथ ही दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और देश में किसी राष्ट्रीय राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता होने का श्रेय भी सुषमा स्वराज को जाता है।
उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत आरएसएस की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की थी और बाद में वह भाजपा में शामिल हो गईं।वह 1996 में 13 दिन तक चली अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री थीं और 1998 में वाजपेयी के पुन: सत्ता में आने के बाद स्वराज को फिर कैबिनेट मंत्री बनाया गया।
चुनौतियां स्वीकार करने को हमेशा तत्पर रहने वाली स्वराज ने 1999 के लोकसभा चुनाव में बेल्लारी सीट से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था।वह 2009 से 2014 तक लोकसभा में नेता विपक्ष भी रहीं।
विधि स्नातक सुषमा स्वराज ने उच्चतम न्यायालय में वकालत भी की। वह सात बार संसद सदस्य के रूप में और तीन बार विधानसभा सदस्य के रूप में चुनी गईं। सुषमा स्वराज के पास केंद्रीय मंत्रिमंडल में दूरसंचार, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और संसदीय कार्य विभागों जैसी जिम्मेदारियां भी रहीं।
स्वराज को उत्कृष्ट सांसद का पुरस्कार भी मिला था। विदेश मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने भारत-पाक और भारत-चीन संबंधों सहित रणनीतिक रूप से संवेदनशील कई मुद्दों को देखा और बखूबी अपनी जिम्मेदारी निभाई।भारत और चीन के बीच डोकलाम गतिरोध को दूर करने में उनकी भूमिका को हमेशा याद रख जाएगा। स्वराज की तारीफ हर राजनीतिक दल के लोग करते थे।
उनका भारतीय राजनीति पर ऐसा प्रभाव था कि उनके जाने की बाद भी कई पीढ़ियों तक लोग उनको याद करेंगे । उनका जीवन चरित्र हमेशा सभी को प्रेरणा देता रहेगा ।