चंद्रयान 2 के बाद भारत के वैज्ञानिकों ने हासिल की अंतरिक्ष में एक और बड़ी सफलता, 28 अदभुत सितारों की खोज की
चंद्रयान लांच हुए कुछ ही समय बीता है इसी बीच भारत के वैज्ञानिकों ने एक और बड़ी सफलता हासिल की है .उत्तराखंड के नैनीताल के पास देवस्थल में दो वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत से अंतरिक्ष में 28 नए वैरिएंट के तारों की खोज की, जो काफी आश्चर्यजनक है.
जब पूरा देश अपनी नजरें चंद्रयान-2 पर टिकाएं था . उन्हीं दिनों नैनीताल के देवस्थल में दो वैज्ञानिक अपनी एक नई खोज के लिए प्रयासरत थे , जिसमें वे सफल भी हुए. इन दोनों वैज्ञानिकों ने सुदूर अंतरिक्ष में नए तारों की खोज की. इनका दावा है कि इन्होंने 57000 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित ग्लोब्यूलर क्लस्टर एनजीसी 4147 में 28 नए वेरिएबल के सितारों की खोज की है.
ये दोनों आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज (एरीज) के खगोल वैज्ञानिक हैं. इसमें से डॉ. एके पांडे एरीज के पूर्व निदेशक रह चुके हैं. डॉ. एके पांडे और डॉ. स्नेहलता के नेतृत्व में टीम ने अपने शोध को पूरा किया. शोधकर्ताओं की टीम ने अपेक्षाकृत छोटे ग्लोब्यूलर क्लस्टर एनजीसी 4147 के फोटोमैट्रिक प्रेक्षण से प्राप्त चित्रों के गहन विश्लेषण से 28 नए वैरिएंट के सितारों की खोज की है. यह खोज अंतरिक्ष के क्षेत्र में काफी बड़ी उपलब्धि है.
इस बारे में डॉ. पांडे ने कहा, “ग्लोब्यूलर क्लस्टर एक उपग्रह के रूप में गेलेक्टिक कोर की परिक्रमा करने वाले सितारों का एक गोलाकार संग्रह है. ग्लोब्यूलर क्लस्टर में गुरुत्वाकर्षण के कारण केंद्र में तारों का घनत्व बहुत ज्यादा होता है. स्टार क्लस्टर की इस श्रेणी का नाम लैटिन शब्द, ग्लोब्यूलस यानी एक छोटा आकार से लिया गया है. ग्लोब्यूलर क्लस्टर आकाशगंगा के प्रभामंडल में पाए जाते हैं. इनमें बहुत अधिक संख्या में बहुत पुराने तारे होते हैं. ग्लोब्यूलर क्लस्टर में ही आकाश गंगा के सर्वाधिक पुराने सितारे भी पाए जाते हैं.”