15 देशों का प्रतिनिधिमंडल पहुंचा कश्‍मीर, स्थानीय लोगों ने मोदी सरकार के बारे में कही ये बड़ी बात

अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद लैटिन अमेरिकी और अफ्रीकी देशों के 15 प्रतिनिधि गुरुवार को जम्मू-कश्मीर पहुंचे. इस डेलिगेशन ने सिविल सोसायटी के सदस्यों से मुलाकात की. राज्य के अधिकारियों के मुताबिक राजनयिकों ने केंद्र शासित प्रदेश का दौरा कर सुरक्षा व्यवस्था के हालात का जायजा लिया. इस समूह में मुख्य तौर पर लैटिन अमेरिकी और अफ्रीकी देशों के सांसद शामिल थे. विदेशी प्रतिनिधिमंडल में वियतनाम, दक्षिण कोरिया, ब्राज़िल, उज़्बेकिस्तान, नाइजर, नाइजीरिया, मोरक्को, गुआना, अर्जेंटीना, फिलीपींस, नॉर्वे, मालदीव, फ़िजी, टोगो, बांग्लादेश और पेरू के प्रतिनिधि शामिल थे.

कश्मीर घाटी का जायजा लेने के बाद विदेशी प्रतिनिधियों ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में स्थानीय लोगों ने पाकिस्तान के उन आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया है, जिनमें पड़ोसी मुल्क द्वारा कहा जा रहा था कि घाटी में रक्तपात हो रहा है.

लोगों ने जम्मू-कश्मीर में हत्याओं के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराया और दूतों को पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए कहा ताकि पड़ोसी मुल्क हस्तक्षेप नहीं कर सके. उन्होंने बताया गया कि जम्मू-कश्मीर के लोग पाकिस्तान को एक इंच भी दखल नहीं देने देंगे.

5 अगस्त 2018 यानी अनुच्छेद 370 के हटने की तारीख के बाद राज्य में किसी तरह का खून-खराबा नहीं हुआ. इसको लेकर केंद्र शासित प्रदेश के स्थानीय नेताओं ने प्रतिनिधिमंडल के सामने केंद्र सरकार की काफी प्रशंसा की.

प्रतिनिधमंडल से स्थानीय लोगों ने कहा कि इस मामले में सहमत होने में कुछ कठिनाइयां थीं, लेकिन व्यवस्था बनाए रखना आवश्यक था. वहीं, उन्होंने आतंक फैलाने के लिए पाकिस्तान की हताशा और अनथक प्रयासों को भी उजागर किया. कश्मीर दौरे पर पहुंचे दूतों ने श्रीनगर की सड़कों पर खुली दुकानें और सड़कों यातायात और लोगों को सामान्य माहौल में घूमते देखा.

सूत्रों के मुताबिक, इन विदेशी प्रतिनिधियों ने 9-10 जनवरी को वहां जाने की अनुमति मांगी थी. सूत्रों का यह भी कहना है कि इनकी तरफ से कश्‍मीर के हालात का जायजा लेने की गुजारिश आई थी.