केंद्र सरकार लाएगी कबाड़ नीति, इतने साल पुराने वाहन पहुँचेंगे कबाड़खाने

देश में बढ़ता प्रदूषण एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। देश के विभिन्न शहरों का प्रदूषण से बुरा हाल है। ऐसे में पुराने वाहनों पर प्रतिबंध लगाने की मांग हमेशा से उठती रही है।
इसे देखते हुए केंद्र सरकार शुक्रवार को कबाड़ नीति ला सकती है। इसका मकसद देश में वाहनों से बढ़ते प्रदूषण पर अंकुश लगाना है। एक रिपोर्ट के अनुसार, कबाड़ नीति के आने से करीब 3 करोड़ पुराने वाहन सड़कों पर नहीं दिखेंगे।


बताया जा रहा है कि के इस कदम से प्रदूषण में लगाम तो लगेगी ही साथ में वाहन उद्योग में 22 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी भी हो सकती है। कबाड़ नीति के तहत वाहनों की उम्र तय की जाएगी। इसके अनुसार 15 साल या उससे पुराने वाहनों को हटाया जाएगा। बता दें कि एक होंडा मोटर्स के एक इवेंट में केंद्र परिवहन और राजमार्ग मंत्री, नितिन गडकरी ने कहा था कि बेकार हुए वाहनों के स्क्रैप (कबाड़) का इस्तेमाल ऑटोपार्ट व अन्य चीजों को बनाने के लिए किया जाएगा।

कबाड़ नीति के तहत वाहनों के उम्र का आकलन रजिस्ट्रेशन के आधार पर होगा क्योंकि मीटर के आधार पर कई तरह की गड़बड़ियां हो सकतीं हैं।

केंद्र सरकार के अनुसार देश के कई राज्य वायु प्रदुषण से त्रस्त हैं। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। पुराने खटारा वाहन सड़कों पर जहरीला धुआं छोड़ते हैं जिससे प्रदूषण में और इजाफा हो रहा है। इसलिए इनपर प्रतिबंध लगाना जरूरी है।

विशेषज्ञों की माने तो पुराने वाहनों पर प्रतिबंध से वायु प्रदुषण को कम करने में काफी मदद मिलेगी। इससे कार्बन मोनोऑक्सइड के उत्सर्जन में 17 फीसदी की कमी आएगी।
पुराने वाहनों पर बैन से 24 प्रतिशत तक कम प्रदूषित कण (पार्टिकुलेट मैटर) पैदा होंगे। इसके अलावा ऑटोमोबाइल उद्योग में नए वाहनों की मांग भी बढ़ सकती है।

ब्रिटेन, अमेरिका और चीन जैसे देशों में वाहन कबाड़ नीति पहले से ही लागू है। अमेरिका में 7.7 किलोमीटर से कम का माइलेज देने वाले वाहनों को कबाड़ मान लिया जाता है। ऐसे वाहनों को कबाड़ में देने से मालिक को बदले में चार लाख रुपये मिलते हैं।
ब्रिटेन में पुराने वाहनों को बदलकर नए वाहन लेने पर करीब दो हजार पौंड यानि पौने दो लाख रुपये तक की राशि वाहन मालिकों को दी जाती है। वहीं, चीन सरकार अब तक करीब चार लाख पुराने व खटारा वाहनों को हटा चुकी है। चीन सरकार भी देश में बढ़ते प्रदुषण को लेकर काफी चिंतित है।

सरकार के इस कदम के पहले ही कई वाहन कंपनियां इस दिशा काम करना शुरू कर चुकीं हैं। देश की सबसे बड़ी ऑटो निर्माता कंपनी मारूति सुजुकी ने पुराने वाहनों को कबाड़ करने के लिए टोयोटा के साथ मिलकर प्लांट लगाने की योजना बनाई है। वहीं महिंद्रा ने सरकारी कंपनी एमएसटीसी से मिलकर काम शुरू कर दिया है। उम्मीद है कबाड़ नीति के आने से बढ़ते प्रदूषण को रोका जा सकेगा।