दुनिया के बहुत से देशों से कम हैं भारत में नई कॉरपोरेट टैक्स दरें जानिए इसका क्या होगा फायदा
देश में मंदी की आहट को देखते हुए सरकार रोज नए उपाय और नईं घोषणायें कर रही है ,इसी कड़ी में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंद पड़ती आर्थिक वृद्धि और निवेश में तेजी लाने के इरादे से कंपनियों के लिये कई उपायों की घोषणा की | वित्त मंत्री ने कॉरपोरेट टैक्स में कटौती का एलान किया |
सरकार ने नया कॉरपोरेट टैक्स 25.17 फीसदी तय किया है | सरकार के एलान के बाद अब कॉरपोरेट टैक्स की दर 22 फीसदी हो गई है | वित्तमंत्री ने कहा कि एक अक्टूबर के बाद बनने वाली घरेलू विनिर्माण कंपनियां बिना किसी प्रोत्साहन के 15 प्रतिशत की दर से आयकर भुगतान कर सकेंगी | इन कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स की दर 17.01 प्रतिशत होगी | कंपनियों को अब दो प्रतिशत सीएसआर की राशि आईआईटी, एनआईटी और राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं पर खर्च करने की भी छूट दी गयी है | छूट/प्रोत्साहन का लाभ उठाने वाली कंपनियों के लिए, मिनिमम अल्टरनेट टैक्स (MAT) की दर 18.5 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दी गई है |
अगर विश्व पटल पर इन दरों की तुलना करी जाए तो नई दरें भारत को कुछ मामलों में करीब लाती हैं, जो उभरते और औद्योगिक देशों में से कई में प्रचलित दरों से कम हैं | भारत में नई कॉरपोरेट टैक्स दरें संयुक्त राज्य अमेरिका (27 प्रतिशत), जापान (30.62 प्रतिशत), ब्राजील (34 प्रतिशत), जर्मनी (30 प्रतिशत) से कम होंगी और चीन (25 प्रतिशत) और कोरिया (25 प्रतिशत) के समान हैं | भारत में 17 प्रतिशत की प्रभावी टैक्स दर के साथ नई कंपनियां सिंगापुर में कॉरपोरेट्स (17 प्रतिशत) के बराबर भुगतान करेंगी |
इस कदम को उठाने के पीछे सरकार की सोच भारतीय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए अब तक का सबसे बड़ा और सबसे साहसिक कदम है, जिसे हाल ही में वैश्विक विकास इंजन के रूप में लाया गया था | इसका लक्ष्य भारत को निवेशकों के प्रिय स्थान में बदलना है | यह आर्थिक प्रबंधन पर बात करने के लिए सरकार के इरादे को प्रदर्शित करता है | साथ ही निवेशकों के विश्वास को बहाल करता है और भावनाओं और मांग को बढ़ाता है |
अब सोचने कि बात यह है की इस निर्णय से क्या हासिल होगा ? सरकार के इस कदम से भारतीय कॉरपोरेट इकोसिस्टम की प्रॉफिटेबिलिटी गतिशील रूप से बदल जाएगी | कम टैक्स का परिणाम आदर्श रूप से हायर प्रॉफिट मार्जिन होना चाहिए | कम कॉर्पोरेट आयकर दरों और प्रॉफिटेबिलिटी में परिणामी बदलाव से कंपनियों को अधिक निवेश करने की संभावना होगी, जिससे उनका पूंजीगत व्यय बढ़ेगा | यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होगा, जिनके पास फंड है |