भारत, नेपाल और चीन के बीच होनी चाहिए त्रिपक्षीय साझेदारी : प्रचंड
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के बीजिंग द्वारा दिए गए ‘भारत-चीन प्लस’ फार्मूले को खारिज करने के बाद पारस्परिक लाभ पर आधारित भारत-नेपाल व चीन के बीच त्रिपक्षीय साझेदारी का समर्थन किया है। उन्होंने कहा, नेपाल एक संप्रभु और स्वतंत्र देश है इसलिए त्रिपक्षीय साझेदारी में नेपाल के पास समान दर्जा और अधिकार होना चाहिए। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी प्रमुख ने कहा, ‘मैं मानता हूं कि भारत-चीन प्लस या 2+1 अवधारणा चीन, नेपाल और भारत के बीच समान हिस्सेदारी की बात नहीं करती है। इसके बजाय यह (अवधारणा) कहती है कि जब इस तरह की साझेदारी बनाने की बात आती है तो प्रथम दो देशों (चीन और भारत) की बड़ी भूमिकाएं होंगी और तीसरे देश की उससे कम भूमिका होगी।’ उन्होंने इस तरह की साझेदारी में नेपाल को बराबर के हिस्से की वकालत की। बता दें कि चीनी उप विदेश मंत्री ने अफगानिस्तान, नेपाल, भूटान और अफ्रीका के लिए एक साझा रणनीति बनाने के मकसद से भारत-चीन प्लस फार्मूला आगे बढ़ाने की अपील की थी।
प्रचंड ने यह भी कहा कि भारत व नेपाल के बीच सीमा विवाद का हल कूटनीतिक और राजनीतिक वार्ता के जरिये होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कालापानी और सुस्ता से जुड़े मुद्दे दोनों देशों के बीच काफी समय से लंबित हैं, और अब इन्हें वार्ता द्वारा हल करने का उपयुक्त समय है। प्रचंड ने कहा, नेपाल सरकार को कालापानी और लिम्पीधुरा पर अपने दावे के समर्थन में ऐतिहासिक दस्तावेज पेश करने चाहिए।