भारत अपनी कार्यशैली में केवल ये परिवर्तन कर ले तो चीन को पीछे करना कोई बड़ी बात नहीं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य अगले पांच सालों में भारतीय अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर बनाने की है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए विकास की दर का दहाई अंकों में पहुंचना जरूरी है. अर्थव्यवस्था रफ्तार नहीं पकड़ पा रही है, क्योंकि मांग कमजोर है. मध्यम वर्ग के पास पैसे नहीं हैं. शायद यही वजह है कि ऑटोमोबाइल सेक्टर की हालत दयनीय हो गई है. ऑटो कंपनियों को भारी नुकसान हो रहा है. कई कंपनियों ने प्रोडक्शन रोक दिया है. मांग में 30-40 फीसदी तक कमी आई है.
बैंकिंग सेक्टर पर बहुत ज्यादा दबाव है. पब्लिक सेक्टर बैंकों पर करीब 8 लाख करोड़ रुपये के NPA का बोझ है. इससे भी बुरी हालत नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी की है. बैंकों के पास पैसे नहीं हैं कि वे कॉरपोरेट को कर्ज दे सकें. इसलिए, रिजर्व बैंक लगातार रेपो रेट में कटौती कर रहा है. इस साल अब तक रेपो रेट में 75 प्वाइंट्स की कटौती की जा चुकी है. दूसरी तरफ सरकार छोटे-छोटे बैंकों के मर्जर का प्लान कर रही है, इससे उनका आकार बढ़ेगा और रिस्क लेने की क्षमता ज्यादा होगी.
विकास की रफ्तार दहाई अंक में पहुंचे इसके लिए जरूरी है कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी से विकास हो. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के विकास में तेजी लाने के लिए MSME और SME सेक्टर का मजबूत होना बेहद जरूरी है, और भारत की सबसे बड़ी यही चुनौती है. सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद इस सेक्टर में आशा के अनुरूप विकास नहीं हो पा रहा है.
ऐसे में चीन की अर्थव्यवस्था से कुछ सीखा जा सकता है. चीन की अर्थव्यवस्था मजबूत है क्योंकि, छोटी कंपनियों का योगदान इनमें 60 फीसदी तक है. 80 फीसदी रोजगार ये छोटी कंपनियां दे रही हैं. वहां की सरकारी रिपोर्ट में भी अब इस बात पर जोर दी गई है कि सरकारी बैंक छोटी कंपनियों को ज्यादा लोन देना शुरू करे. अब तक इन कंपनियों में से केवल 20 फीसदी को ही लोन मिल पाता था. लेकिन, My Bank ने सभी को लोन दिया और अब ये कंपनियां तेजी से विकास कर अर्थव्यवस्था में सहयोग दे रही हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि MSME और SME की वजह से ही चीन की अर्थव्यवस्था लगातार आगे बढ़ रही है.
अलीबाबा ग्रुप के संस्थापक जैक मा ने चार साल पहले पेमेंट बैंक My Bank की स्थापना की. चार सालों के भीतर इस बैंक ने चीन में 21000 अरब रुपये का कर्ज बांट दिया. ये कर्ज करीब 1.6 करोड़ छोटी कंपनियों को दिया गया. कहा जाता है कि इसके लिए किसी को बैंकों के चक्कर काटने की जरूरत नहीं पड़ी. सारा प्रॉसेस ऑनलाइन है. कर्ज लेने के लिए ऑनलाइन एक प्रक्रिया से गुजरना होगा. अगर यह अप्रूव हो जाता है तो तीन मिनट के भीतर लोन अमाउंट आपके अकाउंट में होगा. व्यापारियों को कर्ज मिला और उन्होंने तुरंत बिजनेस शुरू कर दिया. शायद यही वजह है कि चीन बहुत बड़ा निर्यातक बन गया. सबसे बड़ी बात यह है कि, इन कर्ज के लिए डिफॉल्ट रेट मात्र 1 फीसदी है. My Bank बहुत ज्यादा सफल है क्योंकि वह अपने कस्टमर्स के बारे में हर जानकारी इकट्ठा करता है. उसे कस्टमर्स के रिकॉर्ड की जानकारी होती है, जिससे उसका फ्यूचर प्रॉस्पेक्ट भी पता चलते रहता है.
भारत को भी अगर इसी राह पर आगे बढ़ना है और अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ानी है तो मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देना होगा. इस बजट में इस सेक्टर के लिए तमाम तरह की घोषणाएं भी की गई हैं. लेकिन, इन घोषणाओं पर क्रियान्वयन की जरूरत है. इस सेक्टर में तेजी से विकास की जरूरत है. यही एक ऐसा तरीका है कि छोटी मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को मजबूत बनाया जाय उनके मजबूत होने से रोजगार में वृद्धि होगी जब रोजगार में वृद्धि होगी तो जेब में पैसा आने से मार्केट में सामान खरीदने की छमता बढेगी .भारत सरकार को अपनी पालिसी में परिवर्तन कर इसी दिशा में काम करना चाहिए .तभी हम चीन को पीछे करने में सफल हो सकते हैं .