GDP में गिरावट चिंता की बात नहीं: प्रणव मुखर्जी का बयान
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी डालने में कुछ भी गलत नहीं है. उन्होंने कहा कि जब 2008 में आर्थिक संकट गहराया था तब भारतीय बैंकों ने मजबूती दिखाई थी।
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को कहा कि आर्थिक मंदी को लेकर वो चिंतित नहीं हैं. उन्होंने कहा कि कुछ चीजें हो रही हैं, जिनका जीडीपी पर असर दिख रहा है. यूपीए सरकार में वित्त मंत्री रह चुके मुखर्जी ने ये भी कहा कि सरकारी बैंकों में पूंजी डालने की जरूरत है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है।
भारतीय सांख्यिकीय संस्थान के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘देश में जीडीपी वृद्धि की धीमी दर को लेकर मैं चिंतित नहीं हूं. कुछ चीजें हो रही हैं जिनके अपने प्रभाव होंगे.’।
उन्होंने कहा कि 2008 में आर्थिक संकट के दौरान भारतीय बैंकों ने लचीलापन दिखाया था. उन्होंने कहा, ‘तब मैं वित्त मंत्री था. सार्वजनिक क्षेत्र के एक भी बैंक ने धन के लिए मुझसे संपर्क नहीं किया.’ मुखर्जी ने कहा कि अब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को बड़े पैमाने पर पूंजी की जरूरत है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है.
भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान देश की GDP बढ़त के अनुमान को 6.1 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया है. इसके पहले रिजर्व बैंक ने अक्टूबर महीने में नीतिगत समीक्षा में यह अनुमान जाहिर किया था कि वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी बढ़त 6.1 फीसदी हो सकती है, लेकिन अब रिजर्व बैंक ने कहा है कि जोखिम पर संतुलन बनने के बावजूद जीडीपी ग्रोथ अनुमान से कम रह सकती है. इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 6 साल के निचले स्तर 4.5 फीसदी तक पहुंच गई थी.