व्हॉट्सएप भी सुरक्षित नहीं,भारतीयों की जासूसी पर केंद्र सरकार ने व्हॉट्सएप से जवाब मांगा
आज के ज़माने में सोशल मीडिया से कोई भी अछूता नहीं है लेकिन सोशल मीडिया की वजह से किसी की निजता का हनन नहीं होना चाहिए इसी प्रकरण को देखते हुए केंद्र सरकार ने पत्रकारों व सामाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी के मामले में व्हाट्सएप से चार नवंबर तक जवाब मांगा है। साथ ही उपयोगकर्ताओं की निजता को लेकर चिंता जताते हुए व्हाट्सएप से पूछा है कि करोड़ों भारतीय नागरिकों के डाटा की सुरक्षा को लेकर क्या कदम उठाए जा रहे हैं। वहीं, कांग्रेस ने इस मामले में केंद्र सरकार पर निशाना साधा है।
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि व्हाट्सएप को पत्र लिखकर इन आरोपों पर विस्तृत जवाब देने को कहा गया है। साथ ही पूछा गया है कि इससे भारतीय लोग किस हद तक प्रभावित हुए हैं। केंद्रीय सूचना एवं तकनीकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकारी एजेंसियों के पास कॉल इंटरसेप्शन का स्थापित प्रोटोकॉल है। राष्ट्रहित के समुचित कारणों से केंद्र सरकार और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों की निगरानी में ही कॉल इंटरसेप्ट की अनुमति दी जाती है।
व्हाट्सएप ने कहा है कि इजरायल की एनएसओ समूह के स्पाईवेयर ‘पेगासस’ के जरिए कुछ अज्ञात इकाइयां वैश्विक स्तर पर जासूसी कर रही हैं। भारतीय पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता भी इसके शिकार बने हैं। व्हाट्सएप एनएसओ समूह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने जा रही है। एनएसओ इजरायल की निगरानी करने वाली कंपनी है। हालांकि, व्हाट्सएप का कहना है कि करीब 100 सदस्यों को निशाना बनाने का प्रयास किया गया। यह संख्या और बढ़ सकती है क्योंकि और प्रभावित लोग सामने आ रहे हैं। इसके बाद निजता को लेकर बहस छिड़ गई।
व्हाट्सएप ने यह खुलासा नहीं किया है कि किसके कहने पर पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के फोन हैक किए गए हैं। व्हाट्सएप ने यह भी नहीं बताया कि भारत में कितने लोगों को इस जासूसी का निशाना बनाया गया।सरकार ने व्हाट्सएप से पूछा है कि भारतीय नागरिकों की जासूसी के लिए पेगासस को किसने खरीदा है |