फ़ारूक़ अब्दुल्ला को लगा सुप्रीम कोर्ट से झटका, खारिज हुई याचिका, घाटी में तुरंत शुरू हो Internet सेवाएं
जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम और नेशनल कांफ्रेंस फारूक अब्दुल्ला को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने फारूक अब्दुल्ला की हिरासत को चुनौती देने वाली याचिका ठुकरा दी है. सोमवार को जम्मू-कश्मीर को लेकर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई हुई. पहली याचिका में SC ने सरकार को घाटी में इंटरनेट सेवा बहाल करने के लिए नोटिस जारी किया. सुनवाई के दौरान सरकार ने कोर्ट को बताया कि फारूक अब्दुल्ला पर PSA एक्ट लगाया गया है. इसके बाद कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी. CJI रंजन गोगोई ने पीठ का नेतृत्व करते हुए कहा कि 16 सितंबर को जम्मू कश्मीर पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत अब्दुल्ला के खिलाफ हिरासत का आदेश जारी होने के बाद इस याचिका पर विचार करने लायक कुछ भी नहीं बचा है. जम्मू- कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली 370 को निरस्त किए जाने के बाद MDMK प्रमुख वाइको सहित कई नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. याचिका में फारूक अब्दुल्ला को पेश करने की बात कही गई थी. फारुक अब्दुल्ला को हाल ही में पब्लिक सेफ्टी एक्ट(PSA) के अंतर्गत हिरासत में भेजा गया था. इससे पहले 4 अगस्त से वो नजरबंद थे. पब्लिक सेफ्टी एक्ट के अंतर्गच अब फारुक अब्दुल्ला जहां भी रहेंगे, वही उनकी अस्थाई जेल होगी. पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) के तहत हिरासत में लिए जाने वाले व्यक्ति को 2 साल तक बगैर किसी सुनवाई के हिरासत में लिया जा सकता है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर पर दायर याचिका की सुनवाई करते हुए केन्द्र सरकार को आदेश दिया है कि जम्मू कश्मीर के सभी जिलों के निजी के स्वास्थ्य केन्द्र, निजी-सरकारी अस्पताल आदि में लैंडलाइन फोन और हाई-स्पीड की सेवा पुनः शुरू करें. जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 (Article 370) हटने के एक दिन पहले से ही कई अलगाववादी नेताओं को उनके घर पर नज़रबंद करके रखा गया है. फारूक गुपकर रोड स्थित अपने घर में नजरबंद हैं. उनको लोगों से मिलने की इजाजत नहीं है. हां, मगर परिवार के लोग मुलाकात कर सकते हैं.