भारत ‘समुद्रयान’ परियोजना के साथ समुद्री अध्ययन में विकसित देशों के लीग में होगा शामिल

समुद्र्यान परियोजना के अंतर्गत गहरे पानी का अध्ययन करने में भारत की कोशिशें अब रंग लाने लगी है और अब भारत जल्द ही विकसित देशों की तरह अपना मिशन चला रहा है |राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी विज्ञान संस्थान (एनआईओटी) के निदेशक एम ए आत्मानंद ने बताया कि इस परियोजना में गहरे पानी का अध्ययन करने के लिए तीन व्यक्तियों को सबमर्सिबल व्हीकल के माध्यम से करीब 6000 मीटर की गहराई पर भेजने का प्रस्ताव है।

उनके अनुसार  स्वदेश में विकसित यह वाहन छह किलोमीटर की गहराई में समुद्र तल पर 72 घंटे तक चल सकती है। उन्होंने गहरे समुद्र खनन के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, ”अंतरिक्ष मिशन पर व्यक्तियों को ले जाने की इसरो की योजना की भांति ही एनआईओटी समुद्रयान परियोजना पर काम कर रहा है। 200 करोड़ रूपये की इस परियोजना में विभिन्न अध्ययनों के लिए तीन व्यक्तियों को सबमर्सिबल व्हीकल के माध्यम से समुद्र में 6000 मीटर की गहराई पर भेजने का प्रस्ताव है।”

आत्मानंद ने बताया कि ‘समुद्रयान’ की सफलता से भारत को समुद्रों से खनिजों के उत्खनन में विकसित देशों के लीग में शामिल होने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि विकसित देश पहले ही ऐसे मिशन चला चुके हैं और भारत विकासशील देशों में पहला ऐसा देश हो सकता है। ‘समुद्रयान’ दुर्लभ खनिजों के वास्ते गहरे समुद्री खनन के लिए भू विज्ञान मंत्रालय की पायलट परियोतजना का हिस्सा है। आत्मानंद ने कहा, ”हम अधिक परीक्षण के साथ विभिन्न चरणों में गहराई पर उतरते जायेंगे और 2022 तक खनन के शुरू हो जाने की संभावना है।”

गहरे पानी में जाने वाले वाहन सबमर्सिबल व्हीकल के माध्यम से गहरे समुद्र में व्यक्तियों को भेजने की भारत की महत्वाकांक्षा 2021-22 तक ‘समुद्रयान’ परियोजना के साथ ही हकीकत में बदल जाने की संभावना है।